महापुरुष श्री अच्युतानंद दास जी के द्वारा लिखी मालिका की कुछ दुर्लभ पंक्तियां व तथ्य–
निकट भविष्य में होने वाले परमाणु विश्वयुद्ध के विषय में मालिका में वर्णित कुछ विशेष पंक्तियां…
“गोली गोला तपकमान बरसिब गोटी गोटिके जाण आकाशों मार्गरु बोमा जानू छाड़िन।”
अर्थात– तीनों ओर से आक्रमण होगा जल, थल और आकाश मार्ग से।
“परमाणु जे बोमा करि देबेटी जमा पोड़िये जालिये देबापाई भारत सिमा।”
अर्थात– कई तरह के परमाणु बमों से भारत को क्षति पहुंचाने की चेष्टा की जायेगी। जब यह समाचार भक्तों को मिलेगा तब सारे भक्त मिलकर भगवान के शरण में जाएंगे। फिर से महापुरुष मालिका में लिखते हैं…
“आतंके डाकिबे जन सेतेबेले प्रभु सुनिबे करनो रक्खीबे भगतजनों।”
अर्थात– चक्रधर भगवान कल्कि के सम्पूर्ण विश्व के भक्तजन जो पहले से भगवान के शरण में होंगे, वो प्रभु को पुकारेंगे और विनती करेंगे कि हे! प्रभु भारत भूमि की रक्षा कीजिये क्योंकि यह भारत भूमि देवभूमि है। आप तो सम्पूर्ण त्रिभुवन के स्वामी हैं आपकी ही इच्छा से नवीन ब्रह्मांडों की रचना और प्रलय होते हैं। इसलिये हे! प्रभु इस भारत भूमि पर जो संकट आया है इससे भारत की रक्षा करिये। तब प्रभु भक्तों की पुकार सुन भारत की रक्षा करेंगे।
वर्तमान समय में जो भी यह अनुमान लगाते हैं कि तृतीय विश्व युद्ध नही होगा उन्हें यह समझना चाहिये कि द्वापर युग में जब महाभारत युद्ध में ब्रह्मास्त्रों का प्रयोग हुआ तब धरा की रक्षा किसने की थी? उसी प्रकार अति निकट भविष्य में होने वाले परमाणु युद्ध से समस्त संसार में इस भारत भूमि की रक्षा कौन करेगा, या कौन कर सकता है ?
आगे महापुरुष अच्युतानंद जी अपनी मालिका में लिखते हैं कि किस प्रकार महाप्रभु कल्कि भारत की रक्षा करेंगे–
“अग्नि र दाहिका शक्ति तानी आणिबे जे कमलापति परमाणु जे बोमा ताहाजे फुटिबे नाही प्रभु शून्य देबे जे हजाई।”
अर्थात– विश्व युद्ध के बीच मे ऐसा समय आयेगा जब शत्रु विदेशी सेनाओं के द्वारा भारत भूमि पर परमाणु बमों का प्रयोग किया जायेगा। उन सभी बमों को प्रभु की इच्छा मात्र से निष्क्रिय कर दिया जायेगा और श्रीभगवान द्वारा समस्त संसार और भारत का उद्धार होगा।
“जय जगन्नाथ”