महापुरुष अच्युतानंद दास जी के द्वारा लिखी मालिका की दिव्य पंक्ति व तथ्य-
“द्वितीय अजोध्या पूरी प्रकाशीब रघुनाथंक बिहारो,
सेदिन ऐपुरो उत्कल नगर राशस्थली होइजिबो।”
अर्थात – जहाँ जगतपति निवास करते हैं वहाँ की भूमि अयोध्या व वृंदावन के समान पवित्र हो जाती है। कलियुग में भगवान कल्कि जिस स्थान पर निवास करेंगे उस उड़ीसा के उत्कल (बिरजा क्षेत्र) की पवित्र भूमि रासस्थल में परिवर्तित हो जाएगी। भक्तवत्सल भगवान कल्किराम अनन्त माधव महाप्रभु वहाँ अपने प्रिय भक्तों के साथ वृंदावन के समान रासलीला करेंगे, व अपने वात्सल्य से प्रिय भक्तों को सराबोर कर देंगे। सभी भक्त भक्ति के महासागर में गोते लगाने लगेंगे।
उत्तर प्रदेश के बाद प्रभु उत्कल की भूमि को द्वितीय अयोध्या के रूप में सबके समक्ष प्रस्तुत करेंगे। इसके पश्चात भक्तों के द्वारा भगवान कल्कि को “कल्किराम” के नाम से संबोधित किया जाने लगेगा। द्वितीय अयोध्या में महारास संगठित होगा जिसमें गोप, गोपाल (देवी देवताओं) व भगवान अर्थात भक्त और भगवान के मध्य रासलीला का भव्य आयोजन होगा। जो निष्काम भक्त है, जो पवित्र है, केवल वही भक्तजन प्रभु की उस अद्भुत दिव्य महारास लीला में भाग ले पाएंगे, अर्थात भक्त और भगवान का मिलन होगा। वर्तमान में भक्तों के एकत्रीकरण का कार्य चल रहा है।
“जय जगन्नाथ”