महापुरुष अच्युतानंद दास जी के द्वारा रचित मालिका की कुछ दुर्लभ पंक्तियां व तथ्य–
सभी को ज्ञात है कि द्वापर में महाभारत युद्ध होने का एक प्रमुख कारण भूमि विवाद था। उसी तरह वर्तमान समय में भी कश्मीर भूमि विवाद के कारण ही युद्ध होगा। कश्मीर को लेकर ही पाकिस्तान भारत से युद्ध करना चाहता है। निकट भविष्य में जो कली युद्ध अर्थात भारत पाकिस्तान के बीच जो युद्ध होगा (अठारह दिनों के महाभारत युद्ध के अंतिम दिन के एक बेला का यानि आधे दिन का युद्ध कुछ कारणवश पूर्ण नही हो पाया था) वही युद्ध निकट भविष्य में विश्वयुद्ध के अंतिम चरण में उड़ीसा की भूमि पर होगा।
“घटना प्रतिमा पुरुष लिंगः राजंकपुर,
घोरकली महासमर हेबा सेहीठावर।”
अर्थात् – उड़ीसा का वह स्थान जहाँ महादेव और माँ भवानी लिंगराज के रूप में विद्यमान है। उसी श्रीभुवनेश्वर क्षेत्र में कली भारत का अंतिम विध्वंशक युद्ध सम्पन्न होगा।
इसपर महापुरुष इस प्रकार से पुनः लिखते हैं…
“पड़िब चहरसर देशमुलकरे, जुद्धघोर लागिजिब देशबिदेशरे,
बिदेशरे जेहूँजन स्त्रीपिला मेले, धाईंबे ग्रामकु सेजे जीबन बिकले।”
अर्थात् – जब सम्पूर्ण विश्व में विश्वयुद्ध की तैयारी हो जाएगी तथा विश्वयुद्ध का पूर्ण शंखनाद हो जाएगा तब विदेशों में रहने वाले भारतीय लोग अपने देश को लौटेंगे। उन्हें लौटने का एक अवसर अवश्य मिलेगा। यह विश्वयुद्ध कलियुग का अंतिम और महाविनाशकारी युद्ध होगा। ऐसी परिस्थिति में सभी भारतीय अपने देश को लौटेंगे। कोई भी विदेशों में रहना नही चाहेगा। जो आज कहते हैं की भारत में या गांव में रहना उन्हें पसंद नही है वो सभी अपने गांव को लौट आएंगे क्योकि उनके पास दूसरा कोई विकल्प नही होगा।
महापुरुष ने भारत के किन राज्यों में किस स्थान पर कितना विध्वंश होगा, किस शहर या गांव में शत्रु देशों के द्वारा सर्वप्रथम आक्रमण होगा, कहाँ परमाणु गिराया जाएगा, कहाँ मिसाइल से हमला किया जाएगा, इन सभी बातों को मालिका में स्पष्ट रूप से लिखा है। परंतु देश की रक्षा और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यहाँ हम उन नामों तथा बातों का उल्लेख नही करेंगे। भारत सरकार को भी मालिका का अनुसरण करने की आवश्यकता है, क्योंकि कोई भी खुफिया विभाग इन बातों को समझ पाने में असमर्थ होगा। समय रहते इन सब चीजों में ध्यान देने की आवश्यकता है, क्योंकि देखते ही देखते परिस्थितियां बद से बदतर होती चली जाएंगी।
इस विनाशकारी युद्ध के बाद सम्पूर्ण विश्व की जनसंख्या आठ सौ करोड़ से घट कर केवल चौसठ करोड़ ही रह जायेगी, एवं भारत की कुल आबादी भी तेंतीस करोड़ ही बचेगी। इस भयंकर प्रलयंकारी युद्ध के परिणाम आशा से कहीं अधिक भयंकर और विचलित करने वाले होंगे।
युद्ध के बाद कि स्थिति और भारत की क्षति के विषय में महापुरुष अच्युतानंद जी मालिका में स्पष्ट रूप से लिखते हैं…
“भारतजे भगवान करजन्मस्थान,
अनिस्ट होइलेपुनि नुआ हेबेजन्मो।”
अर्थात् – भारत भूमि भगवान चक्रपाणि श्रीहरि का जन्मस्थान तथा लीलास्थली भी है। यहाँ भी विनाशकरी और भयंकर युद्ध होगा जिसके कारण यहाँ बहुत बड़ी क्षति होगी। भारत की क्षतिपूर्ति के लिए प्रभु नवीन अखंड भारत का पुनर्निर्माण और प्रतिष्ठा करेंगे। उस समय मनुष्य समाज और (भक्तों) के लिए सुख, शांति, समृद्धि और प्रेम के वातावरण के साथ (अनन्त युग) सतयुग का प्रारम्भ होगा।
“जय जगन्नाथ”