महामुनि कपिल और महापुरुष अच्युतानंद दास जी के द्वारा रचित कपिल संहिता और मालिका की कुछ दुर्लभ पंक्तियां व तथ्य-
“बलराम हेबे राजा कान्हु परिचार, बसिब सुधर्मा सभा जाजनग्र ठार,
वीणा बाहीन नारद मिलिबे छामुरे, वेद पढुथुबे ब्रह्मा अच्युत आगूरे।”
अर्थात् – जब सुधर्मा सभा बैठेगी तब उस सभा में स्वयं महामुनि नारदजी वीणा वादन करेंगे तथा परमपिता ब्रह्माजी वेदोच्चार करेंगे एवं सभी देवी देवताओं के साथ देवराज इंद्र भी उपस्थित रहेंगे। उस अद्भुत सभा में जगतपति भगवान कल्कि अतुलित बलशाली राजा (बलराम) के रूप में प्रतिष्ठित होंगे तथा वे प्रजापालक तथा परिचालक के रूप में विराजमान होंगें। उस समय का दृश्य बहुत ही अद्भुत, सुखद एवं आनददायक होगा। सुधर्मा सभा उड़ीसा राज्य के पवित्र स्थान जाजपुर नगर की परमशक्ति आदि देवी माँ बिरजा जहां विराजमान हैं उसी पवित्र भूमि पर होगी।
महापुरुष अच्युतानंद जी अपनी मालिका में पवित्र बिरजा क्षेत्र के विषय में आगे इस प्रकार से लिखते हैं…
“उत्तररू सन्यासी जे माड़ीन आसिबे,
जाजनग्र घेरिजिबे सर्वे देखुथिबे।’
अर्थात् – सम्पूर्ण विश्व तथा हिमालय में तपस्यारत सभी साधु संत भगवान की खोज करते (ढूंढते) हुए जाजपुर आएंगे। इस प्रकार महाप्रभु चारों और से भक्तों और संतों से घिर जाएंगे। आनेवाले समय में प्रभु की यह विचित्र लीला भी सभी भक्त अपनी आँखों से देख पाएंगे।
इसपर कपिल मुनि भी कपिल संहिता में लिखते हैं…
“देशान्त प्रथम खेत्रम पार्वती खेत्रे वचः,
बिरजावां महादेवी पार्वती ब्रह्मारूपिणी,
भक्तानं हितार्थथायः उत्कले भूमिस्थांतहितः,
भक्तानां हितार्थथायः उत्कले भूमिस्थांतहितः ।”
अर्थात् – भगवान के चौबीस अवतारों में एक महामुनि कपिल जी हैं जिन्होंने जाजपुर बिरजा क्षेत्र के विषय में लिखा है – सम्पूर्ण पृथ्वी पर जब कोई भी शक्ति पीठ नही थी तब भगवान ब्रह्माजी द्वारा परम आदि शक्ति माँ बिरजा को इसी पवित्र स्थान पर प्रतिष्ठित किया था। यह विश्व के सभी आदि शक्ति पीठों में सबसे बड़ी और प्राचीन पीठ है। यह स्थान पार्वती क्षेत्र के नाम से भी विख्यात है। माँ पार्वती ही योगमाया हैं। उन्हें ब्रह्मस्वरूपिणी के नाम से भी जाना जाता है। उत्कल अर्थात उड़ीसा राज्य के बिरजा क्षेत्र पर वर्तमान समय में भी उनकी पूजा होती है। माँ पार्वती अभी भी माँ बिरजा के रूप में जाजपुर में विद्यमान है। इसी बिरजा क्षेत्र पर कुछ वर्षों के पश्चात सुधर्मा सभा होगी। यह एक अद्भुत, आनंददायी तथा दुर्लभ घटना होगी।
“जय जगन्नाथ”