भविष्य मालिका की सत्यता को प्रमाणित करती महाभारत में भगवान व्यास के द्वारा लिखी पंक्ति-
भगवान व्यास नें महाभारत के वनपर्व पर कलियुग में भगवान के धरावतरण के विषय में लिखा था…
“सम्भूत संभल ग्रामे
ब्राह्मण बसती सुभे।”
चतुर्युगों में केवल सतयुग में श्री भगवान नें अप्राकृतिक तरीके से दिव्य तन धारण किया था क्योंकि सतयुग में धर्म के चार पैर होते हैं। त्रेता व द्वापर में प्रभु नें प्राकृतिक नियम के अनुसार माँ के गर्भ से जन्म लिया था। कलियुग में भी स्वयं के द्वारा निर्मित प्रकृति के नियम के अनुसार जगतपति भगवान श्री हरि अपनी माता के गर्भ से जन्म लेंगे।
उड़ीसा राज्य के सम्भूत संभल ग्राम (नाभि गया छेत्र) अर्थात नये संभल जिसे स्थापित या जिसका निर्माण किया गया हो। ययाति केशरी जी नें दस हजार यज्ञ उपासक ब्राह्मणों को उत्तर प्रदेश के कन्नौज से लाकर उसी पवित्र स्थान पर बसा दिया था। उन ब्राह्मणों ने उस स्थान (सम्भूत संभल) पर सात बार अश्वमेघ यज्ञ का अनुष्ठान किया था। उसी पवित्र स्थान पर भगवान ब्रह्मा ने भी आदियुग सृष्टि के समय यज्ञ अनुष्ठान किया था। उसी नूतन संभल ग्राम में भगवान श्रीहरि वहाँ के मुख्य ब्राह्मण के घर पर अपनी योगमाया से प्रकृति को अपने आधीन कर अपनी माता के गर्भ से जन्म लेंगे (अवतरित होंगे)।