भगवान कल्कि के अवतार से संबंधित विभिन्न शास्त्र पुराण और भविष्य मालिका में वर्णन

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शास्त्रीय मत के अनुसार, भगवान के दसवें अवतार या कल्कि अवतार संबल के गाँव में जन्म लेंगे। यह तथ्य का उल्लेख, श्रीमद् भागवत, श्रीमद् महाभारत, कल्कि पुराण और पंच सखा कृत्य भविष्य मालिका में मिलता है। 

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि वह  संबल ग्राम  कहाँ है? शास्त्र मत के अनुसार तो यह स्पष्ट है कि संबल ग्राम में ही प्रभु कल्कि का अवतार होगा। आज भारत के विभिन्न भागों में अनेक लोग स्वयं को कल्कि सिद्ध कर रहे हैं और अपनी जन्मभूमि को संबल ग्राम मान रहे हैं। लेकिन श्रीमद् भागवत, महाभारत ग्रंथ के  “वनपर्वऔर पंचसखा कृत्य “भविष्य मालिका” में केवल दो संबल स्थानों का उल्लेख मिलता है।

भगवान श्री वेदव्यासश्रीमद् भागवत ग्रंथ में उल्लेख करते हैं कि भगवान कल्कि संबल गाँव में जन्म लेंगे और म्लेच्छों का नाश करेंगे। इसका वर्णन अगले श्लोक में किया गया है:-

 

संबल ग्राम मुख्यस्य  ब्राह्मन्यस्य  महात्मन ।

भबने विष्णु जशश्य कल्कि प्रादुर्भाबिश्यती ।।

उपरोक्त  श्लोक का भावार्थ यह है कि संबल ग्राम के प्रमुख ब्राह्मण के घर में, जहां भगवान विष्णु का नित्य यश गान किया जा रहा होगा, उसी घर में भगवान कल्कि का जन्म होगा। लेकिन बाद में जब द्वापर युग के अंत में भगवान वेदव्यास ने महाभारत की रचना की, तब महाभारत के वनपर्व में, भगवान कल्कि का संभूत संबल गाँव में जन्म होने के रूप में वर्णित किया। यहाँ से स्पष्ट प्रमाण मिलता है कि पहले संबल गाँव और फिर संभूत संबलगाँव का उल्लेख किया गया है।

 

कल्कि विष्णु जशानाम द्विज काल प्रचोदिता

उप्तसयते महाबिरजेया महाबुद्धि पराक्रम

संभूत संबलग्रामे ब्राह्मण बसति सुभे || ”

     -(संस्कृत महाभारत का वनपर्व….श्री व्यासदेव)

उपरोक्त श्लोक में, भगवान वेदव्यास ने भगवान कल्कि के अवतार स्थान को, जिस स्थान पर ब्राह्मणों की बस्ती स्थापना की गयी, संबल ग्राम या संबुत संबल के नाम से उल्लेख किया है। भारत देश में उत्तर प्रदेश राज्य के मुरादाबाद जिले में संबल नामक एक गाँव है जिसे संबल कहा जाता है। साथ ही, ओडिशा राज्य के जाजपुर जिले में जहां मां बिरजा देवी स्वयं विराजमान हैं, और मां बिरजा देवी के पूर्वी भाग में स्थित ब्राह्मण गाँव को पंच सखाओं ने संबल गांव के रूप में वर्णित किया है। भगवान वेदव्यास ने महाभारत के वनपर्व  में यह वर्णित किया है कि, जहां ब्राह्मणों का गांव, यज्ञ करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था, उसी गाँव में प्रमुख ब्राह्मण के घर में, जो भगवान विष्णु के यश गान करते होंगेभगवान कल्कि जन्म ग्रहण करेंगे ।

ओडिशा के इतिहास के अनुसार, सोमवंशी परिवार के राजा जजाती केशरी ने उत्तर प्रदेश के कन्नौज से 10,000 ब्राह्मणों को लाकर मां बिरजा क्षेत्र के पूर्वी भाग में स्थापित किया और उनसे अश्वमेध यज्ञ करवाया। इससे हमें स्पष्ट प्रमाण मिलता है कि भगवान कल्कि का जन्म नया संभल या ”सम्भूत संभल” में होगा न कि मुरादाबाद के पुराने संभल में।

इसका स्पष्ट प्रमाण पंच सखाओं ने भविष्य मालिका ग्रन्थ में किया है जिसका वर्णन महापुरुष  के बिरजा महात्म्य ग्रंथ के द्वितीय स्कंध में मिलता है। वास्तविक संभल और श्री व्यासदेव के वाणी के समर्थन में, मां बिरजा देवी के पूर्वी भाग में स्थापित ब्राह्मणों की बस्ती का स्थान ही संभल ग्राम है, इसे सिद्ध किया है। उक्त पंक्ति नीचे दी गई है:-

सुन बार सुत, निहार बचना ए, अटे  अच्युत ठार ,

नाभि गया तीर्थ, हरिहर क्षेत्र, ग्राम टी संबल पुर

“जय जगन्नाथ”