एक करोड़ लोगों में केवल एक भक्त होगा

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महापुरुष श्री अच्युतानंद दास जी के द्वारा रचित मालिका की कुछ दुर्लभ पंक्तियाँ व तथ्य-

भक्तों के द्वारा श्रीभगवान से प्रश्न – प्रभु कलियुग के अंत समय मे हम आपको कैसे पहचानेंगे?

तब महापुरुष अच्युतानंद जी मालिका के माध्यम से इस प्रश्न का उत्तर देते है …

संसार मध्यरे केमन्त जानिबी नरअंगे देहबही।
गता गत जे जुगरे मिलन समस्तंक जणको नाही।।

देखो मानव तन के माध्यम से त्रिभुवन पति की पहचान आसान नही है। केवल अनुभव मार्ग के द्वारा प्रभु की पहचान संभव है। इस विषय पर दोबारा महापुरुष अच्युतानंदजी अपनी मालिका में लिखते हैं…

अनुभवे ज्ञान प्रकाश होइबो अनुभव करमह।
भविष्य विचार तेणकी कहिबी ज्ञाने नही तरपर।।

अर्थात् 

केवल भक्ति के द्वारा ही भक्तों को अनुभव होगा। सभी भक्त जान पायेंगे कि माधव महाप्रभु ही भगवान मधुसूदन है। आगे महापुरुष अच्युतानंद जी भविष्य मालिका में लिखते है कि सभी लोगों को भगवान की प्राप्ति नही होगी।

धरती पर देवी व देवताओं का भी जन्म होगा परंतु जिनके पास पूर्व जन्म के संस्कार होंगे, जो भगवान की खोज करेंगे, जिनके भीतर भगवान कि प्राप्ति की दृढ़ता होगी, जो भक्त गोलोक, बैकुंठ के वासी होंगेजो हर युग में भगवान के धरावतरण से पहले धरती पर जन्म लेते हैंवही भक्तजन निःस्वार्थ भाव से श्री भगवान की शरण मे आयेंगे, आगे चलकर वही भक्त जन भविष्य में भगवान के शासन को भोग पायेंगे प्रभु के महापराक्रम और महिमा का आनंद भी ले पायेंगे। वही भक्तजन भगवान अनन्त की छत्र छाया में अनन्त सुख का लाभ उठा पायेंगे।

कोटि के गोटिये जाहन्ति सेरस तिरिसे सहस्त्र गणासही।
महिमा प्रकाश निश्चय रामदास आनेमो कोहून्ति नाही।।

अर्थात् 

एक करोड़ लोगों में केवल एक भक्त ऐसा होगा जिसे श्री भगवान की अनुभूति होगी और उनके हृदय में इस बात का विश्वास होगा कि हमारे तारणहार भगवान श्री हरि ने धरावतरण कर लिया है हमें प्रभु की शरण में अवश्य जाना है ऐसी दृढ़ता होगी। वह समय की गंभीरता को मानकर भगवान की शरण में जायेंगे और श्री भगवान का सान्निध्य पाकर कृतार्थ हो जायेंगे। केवल भक्ति के द्वारा ही यह अनुभव होगा। भक्ति के माध्यम से ही भगवान के विषय मे ज्ञात हो सकता है अन्यथा कोई और मार्ग नहीं है।

“जय जगन्नाथ”