कलियुग के अंत में प्रभु कल्कि जब नर शरीर धारण करके धरावतरण करेंगे

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महापुरुष अच्युतानंद दास जी के द्वारा लिखी मालिका की कुछ दुर्लभ पंक्तियाँ व तथ्य

 

“शेष कली लीला भाव बुझाई

कहिबि तो आगे सर्व राम चन्द्ररे

कल्कि रूप होइबे माधव राम चन्द्र रे।”

अर्थात  

महापुरुष अच्युतानंद जी अपने शिष्य रामदास से कह रहे हैं कि कलियुग के अंत में प्रभु कल्कि जब नर शरीर धारण करके धरावतरण करेंगे तब उनका नाम माधव होगा। जो अखिल ब्रह्मांड के स्वामी हैं, जिनके भेद शिव व  ब्रह्मा भी पाने में असमर्थ है, उनके विषय मे पूर्ण ज्ञान होना इतना सरल नही है। केवल वो ही प्रभु का पता लगा पाएंगे जिस पर प्रभु की कृपा हो। 

इसपर महापुरुष अच्युतानंदजी ने पुनः इस प्रकार से लिखा…

 

“चोर प्राय आम्भे अबनि भ्रमिबु चेता कराईबा पाइं,

चाहीं जक-जक निंदुथिबे लोक एहि परा प्रभु सेहि।”

अर्थात  

मैं संसार में आकर चोर के भाँति सम्पूर्ण पृथ्वी पर भ्रमण करूँगा, जैसे द्वापर में किया था, पर कलियुग के पापी मनुष्य मुझे देखकर भी शंका करेंगे पहचान नहीं पाएंगे, निंदा भी करेंगे, और कहेंगे क्या यह वही प्रभु है?

महापुरुष अच्युतानंदजी कल्कि अवतार के विषय में एक बार फिर इस प्रकार से लिखते हैं…

 

“रत्नवट चूड़ा भांगी हेब कुढ गुप्त खंडगिरि तिरे,

अनंत माधव उदय होइबे एकाम्र बन अंतरे।”

अर्थात  

पाराद्वीप के पास एक रत्नवट है, उस वट का जो शीर्ष है वह टुट कर खण्डगिरि के नजदीक आकर गिरेगा, तब प्रभु अनंत माधव जी, एकाम्र बन में यानी भूवनेश्वर में अपनी लीला का विस्तार कर रहे होंगे।

महापुरूष फिर से लिखते हैं…

 

“लीला प्रकाशिब, लीलामयन्कर सत्य जे एकाम्र बन,

लीला करूथिबे अनंत माधव सर्वे आनंद होइण।”

अर्थात  

प्रभुजी अनंत माधव नाम को धारण करके एकाम्र वन भुवनेश्वर में रहकर धर्म संस्थापना के कार्य को आगे बढ़ाएंगे। वैसे तो महापुरुषजी ने विस्तार में जितना लिखा है प्रभु जी के विषय में उसे सही से बता पाना कठिन है, फिर भी आप जैसे गुणी संत जनों को सच्चाई से अवगत कराना हमने अपना कर्तव्य समझकर एक छोटा सा प्रयास किया, ताकि भ्रमित करने वाले लोगों से सावधान रह सके। कोई कितनी बार भी बोले सच कभी झूठ नहीं बन जाता। इसी तरह हमे अपने विश्वास पर कायम रहना है और प्रभु कल्कि राम जी के पूर्ण संहार काल में आगे जाकर आने वाले घोर विध्वंशक लीला से बच पाने की कोशिश करनी है।

 

“आउ बेसी बेल नहीं लो बउल, निकटे होइब देखा,

पंचसखा माने कहि जाइछन्ति पूराणे होइची लेखा।”

अर्थात  

यानी पंच सखाओं ने कहा है और मालिका में लिखा है, अब ज्यादा समय बचा नहीं है। प्रभुजी का अपने कल्कि के स्वरूप धारण करने में मलेछों का नाश और भक्तों को अभय प्रदान करने में। जो लोग बिना जाने और समझे प्रभुजी का अनादर कर रहे हैं, हम उनसे बस इतना कहेंगे कि जो महापुरुष ने लिखा था…

 

“टाण पण करि रहिथीबे जेउण जन,

टलमल सेहु होइबे कलंकी निकटेण।”

अर्थात  

जो गर्व अहंकार या कोई व्यक्तिगत शत्रुता के चलते प्रभुजी के अस्तित्व पर सवाल उठा रहे हैं और भक्तों की निंदा कर रहे हैं, उन्हें प्रभु जी के सामने उत्तरदाई होना पड़ेगा, प्रभु के सामने पकड़े जाएंगे। जोर नहीं रहेगा उन लोगों क,। उनका विचार प्रभु जी करेंगे।

 

                                 “जय जगन्नाथ”