बिरजा क्षेत्र पर प्रभु के नेतृत्व में सुधर्मा सभा होगी

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महापुरुष अच्युतानंद दास व महापुरुष अभिराम परमहंस जी के द्वारा मालिका में लिखी कुछ पंक्तियां व तथ्य-

 

“दुर्गा माधबंक खेल देखीबाकू आखर हेलाणी बेल

कहे अभिराम कालजे अधम छप्पने सरीब खेल। 

दुष्टनकु नासिबे संथनकु पालिबे केते कथा बिचारिबे

जाजनग्रे सरबे मिलित होईबे बसिब सुधर्मा सभा।”

अर्थात – 

उड़ीसा में जन्मे पंच सखाओं में अन्यतम महापुरुष अभिराम परमहंस ने अपनी मालिका ग्रंथ में लिखा है की माँ दुर्गा (शक्ति) व माधब (कल्कि) के द्वारा धर्मसंस्थापना के कार्य सम्पन्न होंगे। बिरजा क्षेत्र पर प्रभु के नेतृत्व में सुधर्मा सभा बैठेगी, व सुधर्मा सभा में दुष्टों के विनाश व धर्म की स्थापना के विषय में जगतपति श्रीहरि अपने विचार सभी के समक्ष प्रस्तुत करेंगे।

 

इसपर महापुरुष अच्युतानंद जी मालिका में इस प्रकार लिखते हैं…

“बलदेव हेबे राजा कान्हू परिचार

बसिब सुधर्मा सभा जाजनग्र ठार

वीणावाई नारद मिलिबे छामुरे

बेद पढुथिबे ब्रह्मा अच्युति आगूरे।”

अर्थात – 

भगवान कल्कि के जन्मस्थान, माँ गंगा के तट पर स्थित माँ बिरजा के प्रांगण में सुधर्मा सभा बैठेगी। उस सभा में भगवान कल्कि शेष जी को अपने शरीर में धारण कर एक साथ बलराम और स्वयं का दायित्व निभाएंगे। ब्रह्माजी, महादेव, व माता महालक्ष्मी जी भी उस सभा में उपस्थित होंगे। देवर्षि नारदजी अपनी मधुर वीणा गायन के द्वारा प्रभु के समक्ष सुंदर भजन प्रस्तुत करेंगे। बड़ा ही आनंदित परिवेश होगा, सभी भक्त परमानंद से सराबोर हो जाएंगे। 

उसी सभा में पवित्र भक्तों को समस्त देवी देवताओं के दिव्य दर्शन प्राप्त होंगे। जिन भक्तों के कर्म और भक्ति पवित्र व निश्छल होगी, जिनमें किसी के प्रति किसी प्रकार का राग, द्वेष या घृणा नही होगी, जो सभी को समभाव की दृष्टि से देखता होगा, जिनके हृदय में किसी भी प्रकार के द्वंद का कोई स्थान नही होगा, वही परम् पवित्र भक्त उस दुर्लभ सभा में बैठ पाएंगे। 

समय निकट है, धर्म संस्थापना अपने प्रथम चरण में है। सम्पूर्ण सात चरणों में धर्मसंस्थापना विश्व में पूर्ण होगी, उसी दौरान भक्तों का एकत्रीकरण व पापियों का विनाश भी होगा। अंत में बचे हुए विश्व के समस्त प्रभावशाली लोगों का संघारकार्य भगवान कल्कि की इच्छा से सम्पन्न होगा।

 

     “जय जगन्नाथ”