श्रीमद्भागवत व भविष्य मालिका में भगवान व्यास व संत अच्युतानंद दास जी के द्वारा लिखी कुछ दुर्लभ पंक्तियां व तथ्य–
“सत्य-सोच-दया-छमा, टूटिब धर्म मार्ग सिमा।”
अर्थात् – श्रीमद्भागवत के अनुसार कलियुग अंत के समय धर्म के चारों पग पूर्ण रूप से समाप्त हो जाएंगे। चाहे वो शासन तंत्र हो या सामाजिक तंत्र, हर तरफ अधर्म का बोल-बाला होगा। धर्म के लिए कहीं स्थान नही रह जायेगा। पाप और अधर्म अपनी चरम सीमा में होंगे। ऐसी स्थिति जब समाज में दिखने लगेगी तब कलियुग का अंत निकट है ऐसा जाने।
इसपर महापुरुष अच्युतानंद जी मालिका में इस प्रकार से लिखते हैं…
“धर्मचारी पाद निश्चय कटीब हरि,
आश्रा करनरं सुकर्म कुकर्म,
विचारी पारिले पादपद्मे स्थान पाई।”
अर्थात् – कलियुग के अन्तिम समय धर्म के चारों चरण समाप्त जाएंगे। मनुष्यों को अपने किये हर एक पापकर्म का फल भुगतना ही पड़ेगा। जो समय रहते चेत यानि सम्हल और समझ जाएंगे, जो सच्चे भक्त होंगे, जिन्हें पाप और पुण्य का ज्ञान होगा, जिनका लक्ष्य श्रीहरि की प्राप्ति होगी, उन्ही भक्तों को हरि चरणों का आश्रय प्राप्त होगा।
वर्तमान समय में मनुष्य समाज में धर्म चेतना का सर्वथा अभाव है। मनुष्य समाज स्वयं अपने विनाश को आमंत्रित कर रहा है। आज प्रकृति में तेजी से परिवर्तन हो रहा है। रेगिस्तानों में वर्षा हो रही है। कुछ समय के पश्चात बर्फ पिघलेगी। प्रकृति और तेजी से परिवर्तित होगी। ऐसे विनाशकारी परिणामों की चेतावनी को जानते हुए भी लोग अनजान बन रहे हैं। सभी अस्थाई सुख की प्राप्ति में संलिप्त हैं, तथा आने वाली विनाशलीला से अनभिज्ञ हैं। निकट भविष्य में समाज को भयंकर जल प्रलय का सामना करना पड़ेगा। वर्तमान में राजा व प्रजा के बीच का सामंजस्य समाप्त हो रहा है। शासन के प्रतिनिधियों द्वारा प्रजा का शोषण हो रहा है। प्रजा भी पथ भ्रष्ट होने के कारण शोषणकारी राजा का ही चयन कर रही है। समाज में व्याप्त हो रहे पाप और अधर्म को समाप्त करके पुनः धर्म संस्थापना की आवश्यकता है, और जिसका प्रारम्भ अब हो चुका है।
“जय जगन्नाथ”