ओडिशा वह पावन भूमि है जहाँ पर भगवान के पंचसखा का जन्म हुआ और भगवान चैतन्य महाप्रभु ने अपनी अंतिम लीला यहीं पर की और अंत समय में भगवान जगन्नाथ में लीन हो गये, सतयुग में श्रीविष्णु जी का अवतार है, त्रेतायुग में श्रीराम जी का अवतार है एवं द्वापरयुग में श्रीकृष्ण जी का अवतार है और कलयुग में श्री जगन्नाथ जी का अवतार है इसलिए पंचसखा और भगवान चैतन्य महाप्रभु ने अपनी लीला के लिए इस पावन भूमि का चयन किया, भगवान कपिल मुनि ने अपने ग्रंथ कपिल संहिता में वर्णन किया है कि सम्पूर्ण विश्व में भारत देश श्रेष्ठ है और भारत में ओडिशा भूमि श्रेष्ठ है,पंचसखा ने भविष्य मालिका में वर्णन किया है,कि आने वाले समय में ओडिशा पूरे विश्व का मार्गदर्शन करेगा, वह समय बहुत जल्द ही हम सभी लोगों के सामने आने वाला है, पूरे विश्व में ओडिशा जैसा पावन भूमि कहीं पर नहीं है,पंचसखा में से एक महापुरुष जगन्नाथदास जी ने हिन्दी भागवत में थोड़ा सा संशोधन करके ओडिया भाषा में भागवत की रचना की,महापुरुष जगन्नाथदास जी माँ श्री राधा जी के अंश अवतार थे, भगवान के शेष पञ्चसखा के जन्म का वर्णन निम्नलिखित है भगवान के श्रीमुख से जसवंतदास जी का अवतरण हुआ था,भगवान के हृदय से शिशुअनंतदास जी का जन्म हुआ था और भगवान के कटिदेश से महापुरुष अच्युतानंद जी का जन्म हुआ था, इस प्रकार पञ्चसखा भगवान के ही अंश थे एवं भविष्य मालिका भगवान की ही वाणी है,यह कभी असत्य नही होगी।
#पंडित श्री काशीनाथ मिश्र भागवत, रामचरित मानस और पंचसखा मलिका के सर्वश्रेष्ठ विश्लेषक हैं। कल्कि अवतार कलियुग की सच्चाई और भगवान विष्णु के अवतार को कवर करने वाले दुनिया के अग्रणी चैनलों में से एक है। कृपया हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें और हमारे नए अपडेट के बारे में सूचनाएं प्राप्त करने के लिए घंटी आइकन दबाएं।
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