महापुरुष अच्युतानंद दास जी के द्वारा भविष्य मालिका में लिखी कुछ दुर्लभ पंक्तियाँ व तथ्य-
“निराकार कर्म धर्म करिष्ट, इस्लाम,बौद्ध,जैन सरबे पड़िबे भाजी दम्भ गर्ब तांको जिबटी हजिलो जाइफलरो सुन्यबादी सुन्य हेबेगांजी।“
अर्थात् –
कलियुग अंत के समय एक ऐसा समय आएगा जब विश्व के सभी धर्मों के पवित्र लोग जो सत्यमार्गी और धर्मी होंगे वो अपने निज धर्मों को त्याग कर सत्य सनातन धर्म को अपनाएंगे। उस समय तक उन सभी का अहंकार नष्ट हो जाएगा। इन्ही अन्य धर्मों के जो पापी लोग होंगे उन सभी का धर्मसंस्थापना के लिये हो रहे विनाश में पंचभूत प्रलय के कारण अंत हो जाएगा। दूसरे धर्मों के जो पवित्र लोग है वो सभी सत्ययुग में जाएंगे।
“केवल ए सनातन धर्मकु स्थापिबे सेनारायण अउ अन्य धर्म हेबो चूर्णों।”
अर्थात् –
जगतपति नारायण सोलह मंडल के भक्तों के द्वारा विश्व में सत्य सनातन धर्म की स्थापना करेंगे। अन्य सभी धर्मों का पूर्ण रूप से अंत हो जाएगा। संपूर्ण विश्व की राजधानी भारत के उड़ीसा राज्य में माता बिरजा की पवित्र भूमि होगी। उसी बिरजा छेत्र से भगवान कल्कि सम्पूर्ण विश्व का संचालन स्वयं करेंगे।
“स्वेत,पित,लोहित,हरित तन्मध्ये निल बर्ध्य तन्मध्ये एकाक्षर।”
अर्थात् –
सत्य सनातन धर्म के पताका में पाँच रंग होंगे ( स्वेत,पित,लोहित,निल,हरित)। प्रभु की यही पंचरंगी पताका द्वापरयुग में भी थी। भगवान कल्कि की यही पताका भविष्य में सम्पूर्ण विश्व में लहरायेगी।
“गरुड़ पृष्ठरे बसी विलात को जिबे से ब्रह्मराशी लोजाइफूलो सेही आणिबे स्वेततुलसी।”
अर्थात् –
विश्व युद्ध के अंत समय में भगवान कल्कि भक्त गरुड़ के पृष्ठ पर बैठ कर विलायत (इंग्लैंड) देश जाएंगे। भारत पर अंग्रेजो के शासन के समय भारत की कुछ बहुमूल्य वस्तुओं को अंग्रेज भारत से अपने साथ ले गए थे। उन सभी बहुमूल्य चीजों को प्रभु कल्कि अपने साथ वापस लाएंगे और वहाँ के शुद्ध भक्तों का उद्धार भी करेंगे। साथ ही साथ सनातन धर्म के विरोधी, अधर्मी, व पापियों का विनाश करेंगे।
भगवान विलायत (इंग्लैंड) से श्वेत तुलसी, मयूर सिंघासन और कौस्तुभमणि (कोहिनूर हीरा) वापस लेकर आएंगे। इस समय वहाँ प्रभु भयंकर युद्ध में इंग्लैंड को पराजित करके उसके अहंकार को चूर-चूर कर देगें। वहाँ के शुद्ध भक्तों में से किसी एक भक्त का राज्याभिषेक करके प्रभु कल्कि जी भारत वापस लौटेंगे।