महापुरुष श्री बलराम दास जी के द्वारा लिखी मालिका की कुछ दुर्लभ पंक्तियाँ व तथ्य–
शास्त्रों के अनुसार कलियुग के अंतिम चरण में वर्षा होने के कोई नीति-नियम नही रह जायेंगे, नियमतः वर्षा को अपने निश्चित समय में अनाज, साग, सब्जियों के अच्छे पैदावार के लिए उचित मात्रा में वर्षा होनी चाहिये, परंतु ऐसा नही होगा। ऋतु क्रम के विपरीत किसी भी समय में अनियमितता के साथ कहीं अत्यधिक, तो कही आवश्यकता से भी कम वर्षा देखने को मिलेगी। अत्यधिक तथा तीव्र वर्षा से मनुष्य समाज का सामना होगा, जिसके कारण रोग, व्याधि, अकाल, भुखमरी जैसी स्थिति मनुष्यों को देखनी पड़ेगी।
“अदिने बर्षा हेबो काल नदी बढिबो,
अपालकों होई नासजिबे महि अज्ञानी होईबे जन।
इंद्र जे अन्याय करिबो जल जे कठोर होइबो,
बहुत प्रमाद पड़ीबो केही काहू के ना मानिबे।”
अर्थात –
असमय भयंकर वर्षा होने के कारण नदियों का जलस्तर बढ़ जाएगा, नदियां उफान पर होंगी जिसके कारण बार-बार बाढ़ आयेगी, खेत खलिहान नष्ट हो जायेंगे, किसानों की दुर्दशा होगी, उन्हें हानि उठानी पड़ेगी, उनके परिश्रम तथा धन दोनों व्यर्थ हों जायेंगे। ऐसी परिस्थितियों को लोग अपनी आंखों से तो देखेंगे पर माया के वशीभूत अज्ञान के अंधकार में डूबे रहेंगे और परिस्थितियों के सामान्य होने की राह देखेंगे।
कलियुग के अंत समय में इंद्र देवता प्रभु के द्वारा निर्धारित नियम व नीति का बार-बार उल्लंघन करेंगे, नियम से धरती का पालन नही करेंगे थोड़ा अन्याय करेंगे।
कृषि के बार-बार प्रत्येक वर्ष नष्ट होने के कारण महंगाई बढ़ती जाएगी, खाद्य सामग्री सामान्य लोगों के पहुँच से दूर होती जाएगी, ऐसी परिस्थिति विश्व के लगभग सभी देशों में देखने को मिलेगी। मंहगाई के कारण शासन व्यवस्था को जनाक्रोश का सामना करना पड़ेगा, सभी ओर हाहाकार होगा, कोई किसी की बात नही सुनेगा, शासन प्रशासन को कोई महत्व नही देगा, लोग भूख के कारण कानून अपने हाथों में लेने लगेंगे। कई देशों में स्थितियाँ तनावपूर्ण होती जायेगी, निकट भविष्य में भारत भी इन परिस्थितियों से अछूता नही रहेगा भारत को भी ऐसी दुर्भिक्ष का सामना करना ही पड़ेगा।
एक ऐसा समय था जब ऐसे लोग अर्थात जिनके पास धन बहुत ज्यादा होता था, जिनकी आर्थिक स्थिति बोहोत मजबूत थी, वे लोग सुखी होते थे, उनके लिए समय अच्छा (अनुकूल) होता था, पर अब समय बदल रहा है, अब धीरे-धीरे सब देखेंगे जिनके पास धर्म होगा जिनमें भक्ति भाव होगा वही लोग सुख से समय गुजारेंगे। जिन लोगों के पास प्राचुर्य धन वैभव होगा उनका धन वैभव किसी काम नही आएगा, क्योंकि जब सत्य का प्रकाश होता है तब धीरे-धीरे धर्म की शक्ति और धर्म का प्रभाव संसार में फैलने लगता है।
ऐसे समय में सभी को धर्म की धारा का अनुशरण करना चाहिए, सभी को धर्म मार्ग अपनाना चाहिए, सत्य सनातन धर्म के लिए कार्य करना चाहिए, व भक्ति भाव से श्रीभगवान के चरणों मे स्वयं को पूर्ण रूप से समर्पित कर देना चाहिए।