महापुरुष अच्युतानंद दास जी के द्वारा लिखी मालिका की कुछ दुर्लभ पंक्तियाँ व तथ्य-
“भकत मोधन, भकत जीबन,
भकत मोगला हार,भकतंक पाईं,
कलिजुग शेसे, हेबि कल्कि अबतार।”
अर्थात –
भगवान महाविष्णु के द्वारा कहे गए कथन को महापुरुष मालिका में इस प्रकार से लिखते हैं कि मेरे भक्त ही मेरा धन है, मेरे भक्त ही मेरा जीवन है, और मेरे भक्त ही मेरे गले का हार अर्थात मेरा सबकुछ है। केवल भक्तों के उद्धार के लिए ही कलियुग के अंतिम समय में मैं उड़ीसा की पावन भूमि पर कल्कि अवतार धारण करूंगा।
“भक्त उदय होईबे गाँव-गांव भूली मेली करिबेसे।”
अर्थात –
सम्पूर्ण विश्व के सभी भक्तजनों का गांव-गांव में, शहर-शहर में एकत्रीकरण होगा। हर युग के अंत में धर्म संस्थापना के समय जो प्रभु के भक्त हैं उन पवित्र भक्तों का एकत्रीकरण होता है।
महापुरुष अच्युतानंद जी पुनः लिखते हैं-
“तर्कितिबु तेरकु चाऊदह पन्द्र लागिब हुन्दर सता कुजीबु सतरु।”
अर्थात –
जब भगवान कल्कि के तेरह वर्ष होंगे उस समय समस्त विश्व चमक उठेगा। सब के मन में एक ही प्रश्न आएगा आखिर यह क्या हो रहा है। जिसका कोई निदान नही है। सब भयभीत हो जाएंगे हर तरफ भय का वातावरण होगा। जो वर्ष 2020 में हम सभी ने अपनी इन्ही आंखों से देखा था। उसके पश्चात प्रत्येक वर्ष कोई ना कोई अप्रिय घटनाओं की शुरुआत हुई और आगे भी लगातार एक के बाद एक अनसुनी घटनायें यूँ ही होती रहेंगी।
जो लोग यह सोच रहे हैं कि विपत्ति टल चुकी है तो यह उनकी भूल है। यह विनाश लीला आगे भी किसी न किसी रूप में चलती रहेगी। केवल भक्त गण ही इस गूढ़ रहस्यों को समझ पाएंगे कि प्रभु ने अवतार ले लिया है। संसार मे जो कुछ भी हो रहा है वो प्रभु के विनाशलीला व धर्म संस्थापना का हिस्सा है।
समस्त विश्व के भक्तों के उद्धार के लिए और भक्तों तक भगवान के अवतरण की सूचना पहुंचाने के लिए तथा किस प्रकार से भक्तों का एकत्रीकरण होगा और किस प्रकार से धर्म संस्थापना के कार्य होंगे? इसकी जानकारी प्रभु के भक्तों तक पहुंचाने के लिए ही आज से लगभग 600 वर्ष पहले श्री भगवान की आज्ञा से भविष्य मालिका ग्रंथ की रचना हुई थी।
विश्व के किसी अन्य ग्रंथ में कलियुग के अंत और इतने स्पष्ट शब्दों में धर्म की स्थापना के बारे में कोई जानकारी नहीं है। समय के महत्व को जानकर सभी भक्तों को चाहिए कि वे सनातन धर्म को अपनाएं और यथाशीघ्र धर्म के मार्ग पर आएं।
जब तक भक्तों को एकत्रीत करने का कार्य पूरा नहीं हो जाता, तब तक खण्ड प्रलय धीरे-धीरे जारी रहेगा। 2023 तक एकत्रीकरण का काम पूरा होने के बाद भगवान कल्कि की विनाश लीला, और विश्व युद्ध की भीषण आपदाएं और पंचभूत प्रलय के भीषण दृश्य मनुष्य अपनी आंखों से देखेंगे।
महापुरुष पुनः लिखते हैं-
“संसार सहमय अति मायामय सहमय कुपूजा,
करह कर्मवामो हेले संज्ञाहीन हेबु नरहिब,
थलकुल भारण वेहलकु बिहन बाँटिबी चिन्ही,
नपारिबे केहिबी लख्य पंचासी ग्रंथ बुझाईबी संभलरे उदय होईबी।”
अर्थात –
यह संसार मायामय है। भक्तों को माया के कारण यदि मति भ्रम हुआ तो वह अंत समय में भी भगवान की प्राप्ति के स्थान पर मृत्यु के चक्रव्यूह में पड़ जाएंगे। इसलिए विश्व के सभी भक्तों को समय की गंभीरता को समझ कर अपने एक-एक पल को भगवान की भक्ति में लगाना चाहिये। जब ऐसा समय चल रहा होगा तब भक्तों के पास अचंभे की तरह मालिका की वाणी किसी भी तरह से पहुंचेगी और उनके मन में मालिका सुन कर आवेग उत्पन्न होगा। जो इस मालिका पर विश्वास करेंगे वो भगवान की शरण में पहुंचेंगे। सत्ययुग को देख पाएंगे।
“जय जगन्नाथ”