कलियुग के अंत के क्या क्या संकेत होंगें
बाउंश गछ रे धान आरंभिबे, गव गछ रे नडिआ।
आउ न बर्षिब से इंद्र राजन, कृषि होइब पडिआ।।
कुकुर गाइबे यजुः वेद छंद, बग पढुथिबे गीता।
एकाले जाणिबु बारंग सुंदर, कलि न्कर जिबा कथा।।
– (ग्रन्थ: पट्टामडाण, शिशु अनंत दास)
भावार्थ-
शिशु अनंत जी से उनके शिष्य बारंग पूछते है कि कलियुग के अंत में क्या क्या लक्षण दिखाई देंगे। शिशु अनंत जी बोलते हैं कि- बांस के पेड़ से धान उगेंगे। गब गछ में नारियल उगेंगे। इंद्र बारिश नहीं करेंगे। कृषि नहीं होगा जमीन खाली पड़ेगा। कुत्तों के मुँह से यजुर्वेद निकलेगा, वक पक्षी गीता पढ़ेंगे। इस समय में तुम्हें कलियुग के जाने का पता चलेगा।
“अति असंभव प्रस्ताव कहिबा पुछिलु जेणु आंभकु।
गोरू मनुष्य न्क पिरती होइब, थोकाए काल बेल कु।।
श्रीफल, गुवात, पणस, कदलि, पक्व फल न मिलिब।
गुणकर मूल्य षोलस मूल्य रे, लोडिले खरदि हेब।।
गुड घृत द्रव्य देखि नाहिं नाहिं, पइसा बोलिबे नर।
शुष्क मीन मत्स्य बिक्रय पासरे, पिटा पिटि हेबे आर।।“
-(आगत भविष्यांत मालिका, अच्युतानंद दास)
भावार्थ:–
अच्युतानंद जी अपने शिष्य रामचंद्र को कलियुग के अंत में क्या क्या लक्षण दिखाई देने वाले हैं समझा कर कहते हैं कि -अति असंभव लगने वाली वह सब घटना जो आगे होने वाली है वह सब तुम्हारे पुछने पर हम तुम्हें बता रहे हैं। युग अंत काल में गाय और मनुष्य में प्रीति होगी। नारियल, केला, कटहल आदि का पका हुआ फल नहीं मिलेगा (अब ये घटनाएं हो चुकी है, जैसे कि carbide (कारबाइड) से पकाया जाता है)। जिसका मूल्य भी एक गुना के जगह सोलह गुना ज्यादा होगा पर आवश्यक अवसर पर ही लोग खरीदेंगे। गुड, घी, द्रव्य, देख कर जो कि बहुत ही दुर्लभ पदार्थ है, उसके लिए पैसे नहीं हैं ये बोल के मनुष्य खरीदी नहीं करेंगे। लेकिन सूखी मछली मांस के दुकान में बहुत झगड़ा और कलह करके भी लोग खरीदेंगे।
“गोरु मनुष्य प्रसबिब, पाषाणे वृक्ष टि होइब।“
-(तत्वबोधिनी गीता, अच्युतानंद दास)
भावार्थ:–
कलियुग के अंत में और भी आश्चर्य होगा जैसे कि गाय मनुष्य का बच्चा पैदा करेगी। पत्थर के उपर भी पेड़ पौधे उगेंगे। ये सब कुछ असंभव लगता है फिर भी बहुत कुछ घटित हो चुका है।
“जय जगन्नाथ”