Kalki AvataraKalki Avatara
  • होम
  • हमारे बारे में
  • भविष्य मालिका पुस्तक
  • मालिका विडीओ
  • वचनामृत
  • प्रश्न-उत्तर
  • त्रिसंध्या
  • सम्पर्क करें
Bhagwat Mahapuran Chapter 1-4
https://www.kalkiavatara.com/wp-content/uploads/2022/06/श्री_मद्ध_भागवत_महा_पुराण_प्रथम_स्कंध_अध्याय_1_से_4_तक-1.mp3
Facebook Twitter Instagram YouTube WhatsApp Telegram
Kalki AvataraKalki Avatara
  • होम
  • हमारे बारे में
  • भविष्य मालिका पुस्तक
  • मालिका विडीओ
  • वचनामृत
  • प्रश्न-उत्तर
  • त्रिसंध्या
  • सम्पर्क करें
  •  - 
    Arabic
     - 
    ar
    Bengali
     - 
    bn
    Dutch
     - 
    nl
    English
     - 
    en
    French
     - 
    fr
    German
     - 
    de
    Gujarati
     - 
    gu
    Hindi
     - 
    hi
    Indonesian
     - 
    id
    Italian
     - 
    it
    Japanese
     - 
    ja
    Kannada
     - 
    kn
    Malayalam
     - 
    ml
    Marathi
     - 
    mr
    Mongolian
     - 
    mn
    Myanmar (Burmese)
     - 
    my
    Nepali
     - 
    ne
    Pashto
     - 
    ps
    Portuguese
     - 
    pt
    Punjabi
     - 
    pa
    Russian
     - 
    ru
    Spanish
     - 
    es
    Tamil
     - 
    ta
    Telugu
     - 
    te
    Thai
     - 
    th
Kalki AvataraKalki Avatara
भविष्य मालिका

चारों युगों में धर्म स्थापना और कलियुग में धर्म स्थापना का वर्णन

Ashish VyasBy Ashish VyasAugust 15, 2023Updated:April 22, 2025No Comments6 Mins Read
Facebook Twitter Email Telegram WhatsApp
avatarofmahavishnu
Share
Facebook Twitter Email Telegram WhatsApp

शास्त्रों में सत्य, त्रेता, द्वापर और कलियुग चार युगों का वर्णन है। भगवान महाविष्णु ने उपरोक्त चार युगों में  24  अवतार लिए हैं और उन अवतारों के नाम नीचे दिखाए गए हैं:

  1. कुमार अवतार (सनक, सनन्दन, सनातन और सनथ कुमार)
  2. यज्ञेश्वर
  3. वराह
  4. नारद अवतार
  5. नर नारायण अवतार
  6. कपिल का अवतार
  7. दत्तात्रेय अवतार
  8. यज्ञ रूप अवतार
  9. रशभ अवतार
  10. पृथ्वी अवतार
  11. हम्सा अवतार
  12. मीन अवतार
  13. चक्रधर अवतार
  14. कूर्म अवतार
  15. धन्वंतरि अवतार
  16. मोहिनी अवतार
  17. नरसिंह अवतार
  18. वामन अवतार
  19. परशुराम अवतार
  20. वेदव्यास अवतार
  21. श्री राम का अवतार
  22. बलराम अवतार
  23. बुद्ध का अवतार
  24. कल्कि अवतार

उक्त 24  अवतारों में से महाप्रभु ने धर्म की स्थापना के लिए प्रमुख  10 अवतार धारण किए। वे हैं,

  1. मत्स्य अवतार:

पुराणों में वर्णित तथ्यों के आधार पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु ने सतयुग में सृष्टि का प्रलय से रक्षा हेतु मछली के रूप में अवतार लिया था। जिस प्रकार नाव (जहाज) खुशी-खुशी वस्तु का उद्धार करती है, उसी प्रकार श्री हरि ने जल प्रलय में बिना किसी प्रयास के वेदों को धारण करते हुए और उनकी रक्षा करते हुए अवतार लिया।

  1. कूर्म अवतार:

भगवान विष्णु दूसरे अवतार में कछुए के रूप में प्रकट हुए। कच्छप अवतार लेकर श्री हरी ने मंदराचल पर्वत को अपनी पीठ पर धारण किया था। जिससे समुद्र मंथन में आसानी हुई। समुन्द्र मंथन में हलाहल और अमृत सहित 14 रत्नों की प्राप्ति हुई। भगवान विष्णु के इस अवतार को कूर्म अथवा कच्छप अवतार के नाम से जाना जाता है।

  1. वराह अवतार:

एक दिन हिरण्याक्ष ने ब्रह्मांड से पृथ्वी चुराकर समुद्र के अंदर अर्थात रसातल में छिपा दिया था। देवता लोग भगवान बिष्णु के पास जाकर संकट से उबारने की विनती की। तब भगवान विष्णु ने दशावतर के तीसरे अवतार में ब्रह्मा जी के नासिका से बराह का रूप लेकर अवतरित हुए।

विष्णु भगवान ने बराह अवतार लेकर समुद्र के अतल गहराई में जाकर पृथ्वी को ढूढना शुरू किया। उन्होंने अपनी थूथनी की मदद से पृथ्वी को ढूढ निकाला और पृथ्वी को अपने दांतों पर धारण कर सागर से बाहर ले आए। भगवान ने अपने दांतों पर रखकर विशाल सागर से जलमग्न पृथ्वी की रक्षा की।

  1. नरसिंह अवतार:

भगवान विष्णु को अपने परम भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए दशावतार के इस क्रम में नरसिंह अवतार लिया। अपने नरसिंह स्वरूप में उन्होंने बड़े—बड़े नख के माध्यम से असुर राजा हिरण्यकश्यप का वध किया था। इस प्रकार हिरण्यकश्यप अस्त्र-शस्त्र से नहीं बल्कि नाखूनों के द्वारा मार गया।

  1. वामन अवतार:

भगवत पुराण के अनुसार विष्णु भगवान ने राजाबलि से देवताओं की रक्षा के लिए वामन अवतार लिया था। एक बार प्रह्लाद के पौत्र राजाबलि ने शक्ति अर्जन के लिए अनेकों यज्ञ किये थे। यज्ञ से घबराकर देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। जिस कारण विष्णु भगवान को वामन अवतार लेना पड़ा। वामन रूपी ब्राह्मण का रूप धारण कर वे यज्ञ स्थल पर पहुच गये। राजा बलि का घमंड तोड़ने के लिए भगवान वामन ने बलि से यज्ञ के लिए तीन फीट भूमि दान करने को कहा।

राजा वाली ने दान देने का संकल्प ले लिया। तब वामन रूपी भगवान विष्णु ने अपना विशाल स्वरूप करते हुये एक पग में धरती तथा दूसरे में स्वर्ग नाप लिया। तब तक राजा बाली समझ चुके थे।

उन्होंने तीसरे पग के लिए अपना सिर आगे कर दिया। इस प्रकार राजा बलि का मान मर्दन हो गया। भगवान विष्णु राजा बलि के दानशीलता से अति खुश हुए और उन्हें पाताललोक का स्वामी बना दिया।  

  1. परशुराम अवतार:

इस अवतार में भृगु वंश में परशुराम के रूप में श्री हरि ने क्षत्रिय वंश का नाश किया, अपने रक्त से लथपथ रक्त से संसार को शुद्ध किया और संसार के दुखों को दूर किया।

  1. राम अवतार:


भगवान राम का जन्म महाराज अयोध्या नरेश दशरथ के घर कौशल्या के गर्भ से हुया था।  

उन्होंने सीता स्वयंवर में शिव धनुष को तोड़कर सीता से विवाह किया। अपने पिता की आज्ञा मानकर उन्हें चौदह बर्ष का बनवास जाना पड़ा। बनवास के समय उनकी भार्या सीता  और अनुज लक्ष्मण हमेशा साथ थे। बनवास के दौरन उन्होंने कई असुरों का सर्वनाश किया। बनवास के क्रम में जब अहंकारी रावण ने माता सीता का हरण कर लिया। तब भगवान राम ने वानर सेना की मदद से रामसेतु का निर्माण किया। इस प्रकार भगवान राम वानर सेना की मदद से लंका पर चढ़ाई किये।

राम और रावण के बीच कई दिनों तक भयंकर युद्ध चला। अंत में भगवान राम ने पापी रावण का वध कर धरती को उसके अत्याचार से मुक्त कर धर्म की स्थापना की। भगवान राम हमेशा मर्यादा से बंधे रहे इस कारण वे मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए। 

  1. बलराम अवतार:

इस अवतार में भगवान विष्णु ने भगवान बलदेव का रूप धारण किया था, जो बहुत ही सम्मानित थे। इस अवतार में, भगवान को नीले रंग के कपड़े पहनाए गए थे जो नए बादलों की तरह सुंदरता से मिलते जुलते थे। भगवान बलराम की सुंदरता को देखकर ऐसा लग रहा था मानो बलराम के हल के हमले से डरकर यमुना नदी उनके वस्त्रों के अंदर छिपी हुई है। 

  1. बुद्ध का अवतार:

इस अवतार  में भगवान विष्णु, भगवान बुद्ध के रूप में अवतरित हुए थे। जानवरों के प्रति सद्भावना के कारण उन्होंने बलिदान में जानवरों की बलि को समाप्त कर दिया।  सभी जीव-जंतुओं और प्राणियों के प्रति प्रेम, सद्भाव, और उदारता का संदेश देकर उन्होंने संसार में प्राणियों के प्रति सद्भावना की भावना का प्रसार किया।

  1. कल्कि अवतार:

कल्कि के रूप में, श्री हरि म्लेच्छों (पापियों)  का विनाश करने के लिए कल्कि का रूप धारण करते  हैं।  धूमकेतु और उल्काओं जैसे भयंकर रूप धारण करता है, भक्तों और अच्छे लोगों की रक्षा करता है और दुष्टों का विनाश करते  हैं। यह अवतार कलियुग का अंतिम अवतार है और यह कलियुग के अंतिम समय का प्रमाण है।

भविष्य मलिका के अनुसार 4 युगों के अंत में भक्तों की मनोकामना पूरी करने के लिए भगवान श्री हरिविष्णु स्वयं पृथ्वी पर कल्कि अवतार लेकर 1009  वर्षों तक संसार को सुख, समृद्धि, ज्ञान, विज्ञान प्रदान करते हैं। कल्कि महाराजा 1009 वर्षों तक पृथ्वी पर शासन करेंगे, भविष्य में इस युग को अनन्त युग के रूप में जाना जाएगा। इस युग को शास्त्रों और पुराणों में आद्य सत्ययुग,  संगम युग या अनंत युग के नाम से जाना जाता है।

“जय जगन्नाथ”

Share. Facebook Twitter Email Telegram WhatsApp

Related Posts

कलियुग के पूर्ण होने के संबंध में श्री जगन्नाथ के क्षेत्र से मिले संकेत

December 3, 2022

भगवान कल्कि के अवतार से संबंधित विभिन्न शास्त्र पुराण और भविष्य मालिका में वर्णन

December 3, 2022

कलियुग में भगवान के तीन अवतार होंगे

December 3, 2022
Add A Comment

Comments are closed.

Buy Maalika book from Amazon
Categories
  • त्रिसंध्या
  • प्रश्न-उत्तर
  • भविष्य मालिका
  • भागवत महापुराण
  • मालिका विडीओ
  • वचनामृत
  • संस्कृति चैनल

Kalkiavatara.com


Organised by: Baikunthdham Sebaashram Trust Regd No. 41131407552

Our Picks

EP-121- देवर्षि नारद मुनी के अवतार शिशु अनंत जी ने कल्कि भगवान के जन्म के बारे में क्या लिखा है?

May 2, 2024

EP-122- शिव कल्प और सौराष्ट्र संहिता ग्रंथ में कल्कि भगवान के जन्म का प्रमाण.

May 2, 2024

EP-123- बिरजा महात्मय ग्रन्थ में जाजनगर-संबल ग्राम का प्रमाण.

May 2, 2024
About Us

Welcome to kalkiavatara.com. It is part of Vishwa Sanatan Dharma Foundation. To know more about us you can check about us section.

Reach out to us on
Email Us: info@kalkiavatara.com
Contact:
+91 9593 161616
+91 8768 161616
+91 93200 00020

Quick links
  • होम
  • हमारे बारे में
  • भविष्य मालिका पुस्तक
  • मालिका विडीओ
  • वचनामृत
  • प्रश्न-उत्तर
  • त्रिसंध्या
  • सम्पर्क करें
Kalki Avatara
Facebook Twitter Instagram YouTube WhatsApp Telegram RSS
  • जाने हमारे बारे में
  • सूचनाओ की गुप्तता
  • नियम तथा शर्तें
  • सम्पर्क करें
© 2025 Vishwa Sanatan Dharma Foundation (kalkiavatara.com)

Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.