विश्व सनातन धर्म
सनातन धर्म सभी धर्मों का मूल है और प्रत्येक धर्म का आधार प्रभु की प्राप्ति है।
अवतार –
संसार में जब-जब पाप की वृद्धि होती है और सनातन धर्म की हानि होती है, तब-तब धरती पर प्रभु नारायण का अवतरण होता है। भगवान दुष्टों का संहार करके सनातन धर्म की पुनर्स्थापना करते हैं। भगवान जब भी मनुष्य रूप में जन्म लेते हैं, अपने भक्तों और साधकों (साधु संतों) का उद्धार करते हैं। प्रभु के अवतरण के बाद नए युग का आरंभ होता है । कलयुग के बाद और सतयुग के आरंभ से पहले अनंतयुग होता है। कल्कि भगवान एक हजार आठ वर्षों तक धरती पर शासन करेंगे। सम्पूर्ण विश्व का एकत्रीकरण होगा और हमारा भारतवर्ष विश्व का मुख्यालय होगा । पूरी धरती पर रामराज्य की स्थापना होगी और सभी लोग सनातन धारा का अनुसरण करेंगे।


परिचय - पंडित काशीनाथ मिश्रा जी
उड़ीसा निवासी पंडित श्री काशीनाथ मिश्र जी भगवान जगन्नाथ के अनन्य भक्त हैं तथा प्रभु की सेवा में अनवरत लगे रहते हैं। ये न केवल भागवत कथावाचन करते हैं ; बल्कि पंचसखा द्वारा लिखित भविष्य मालिका का सार्थक अनुवाद कर भक्तजनों को समझाते भी हैं। ये वेद,पुराण और शास्त्रों के प्रकाण्ड विद्वान हैं।
जीवन शैली-
श्री काशीनाथ मिश्र जी ने इन सभी ग्रन्थों के ऊपर शोध करके विश्वस्तर पर सनातन धर्म का प्रचार करके भारतीय संस्कृति और अध्यात्म को एक नई दिशा दी है। इनका जीवन लक्ष्य विश्व के भटके हुए लोगों को सनातन धर्म की गुणवत्ता बताकर सम्पूर्ण विश्व में सनातन धर्म की स्थापना कर भारत को पुनः जगत्गुरु की उपाधि से विभूषित करवाना है। ये भारत के विभिन्न हिस्सों में जाकर भविष्य मालिका का वाचन कर लोगों को भागवतमार्गीय बनने का आग्रह करते हैं। इस कार्य में लगे प्रत्येक ख़र्च का वहन ये स्वयं ही करते हैं। इनकी वाणी में अद्भुत आकर्षण और मृदुलता है। भागवत के प्रचार, प्रसार सम्पूर्ण नि:शुल्क होता है।
श्री काशीनाथ मिश्र सोलहवीं शताब्दी में पंचसखा द्वारा रचित ‘भविष्य मालिका’ का वाचन करते हुए बताते हैं कि कल्युग का अंत हो चुका है और अभी अनंत युग (स्वर्ण युग) की शुरुआत होनेवाली है। साथ ही विष्णु भगवान का अंतिम अवतार का कल्कि रूप में धरा अवतरण हो चुका है। पंडित जी के अनुसार जब-जब इस धरा- धाम पर पाप अत्यधिक हो जाता है, तब-तब धरती माता के कष्टों का हरण करने के लिए स्वयं भगवान- विष्णु का अवतार लेते हैं। इनका कहना है कि मनुष्य सात्विक जीवन जीते हुए महाप्रभु भगवान कल्कि की धारा का अनुसरण करते हुए सम्पूर्ण विश्व में सनातन धर्म की स्थापना में अपना योगदान दें।
पंच सखा परिचय
पवित्र धाम जगन्नाथ मंदिर उड़ीसा राज्य में स्थित है। यहां आदि काल से ही संत परंपरा चली आ रही है जिनमें पंद्रहवीं -सोलहवीं शताब्दी में पांच वैष्णव भक्त हुए, जिन्होंने धार्मिक आंदोलन शुरू किया। इन लोगों ने निरक्षर लोगों को धर्म का मर्म समझाने के लिए धार्मिक ग्रंथों का उड़िया भाषा में अनुवाद किया। इन्होंने रामायण, भागवत और विष्णु पुराण प्रमुख हैं। इन लोगों ने सामाजिक असमानता को दूर किया और व्यक्ति के जाति या कुल से अधिक उसके कर्म की महत्ता बतलाया। ये पांचों भक्त पंचसखा कहलाए जो निम्नलिखित हैं –
संत अच्युतानंद
संत बलराम दास
संत यशवन्त दास
संत जगन्नाथ दास एवं
संत अनंत दास।
पंच सखा और भविष्य मालिका
जगन्नाथ क्षेत्र के मठों में ताम्रपत्रों पर लिखी गई है। इन पुस्तकों में भविष्य में होनेवाली घटनाओं की एकदम सटीक भविष्यवाणियां हैं, जो की मठों के अधिकार क्षेत्र में है।
मालिका की रचना बंगाल के प्रसिद्ध वैष्णव भक्त चैतन्य महाप्रभु के समय लिखी गयी चैतन्य महाप्रभु के मित्र थे भक्त अच्युतानंद जी जिन्होंने अपनी योग साधना के द्वारा भविष्य में होनेवाली घटनाओं को मालिका के माध्यम से लिखा है। इन्हीं में से एक ग्रंथ में संत अच्युतानंद के सत्युग से लेकर कलियुग तक के अनेक जन्मों का वर्णन है।इनकी भविष्यवाणियां उड़ीसा में काफी महत्व रखतीं हैं।
अच्युतानंद जी के अनुसार बाढ़,महामारियां,भुकम्प ,अकाल,युद्ध इत्यादि घटनाएं जो अभी घटित हो रही हैं ,उनकी जानकारी पांच सौ साल पहले दे दी गयी हैं। बाढ़, युद्ध, अकाल, महामारियां, भूचाल और और विस्फोट मुख्य रूप से इन घटनाओं के घटने का संकेत है मालिका में- यूरोप के सभी देश नष्ट हो जाएंगे और अमेरिका पानी में डूब जाएगा। अंत में रुस शक्तिशाली हो जाएगा, जिसे कल्कि भगवान अपने साथ लेकर सम्पूर्ण विश्व पर शासन करेंगे।
बलराम जी गरुड़ जी को कलियुग का भविष्य बताते हुए कहते हैं – “हे वीर जब कलियुग के अंत होने का समय आएगा, तब जगह -जगह युद्ध होगा और दिन में ही अंधेरा छा जाएगा। उतने ही समय में संसार में बड़ा अनिष्ट होगा उसका ध्यान रखो। उस समय संसार में कोई किसी का नहीं होगा सभी एक दूसरे का धन लूटने में लगे रहेंगे। हर एक घर में की कीवाड़ (सन्नाटा पसर जाएगा)। हर जगह खराब बातें और भाग्य को कोसना सुनाई पड़ेगा। असुर प्रकृति के लोग अमीर हो जाएंगे और लुटेरे संसार में स्वच्छंद विचरण करेंगे। श्री हरि का चरित्र अमृत है उसके प्रभाव से अंत में भक्त लोग ही बचेंगे। यह लूटमार जब पश्चिम से शुरू होगी तो समझ लेना कि अंत निकट है। इस भविष्यवाणी के अनुसार अभी पश्चिम की ओर लूटमार मचा हुआ है और असुर प्रकृति वाले संसार के सम्राट बन बैठे हैं। इसलिए ऐसा लगता है मानो संसार का अंत निकट है।”