कलियुग की चतुर्युग गणना के अनुसार 4,32,000 वर्ष भोग होना चाहिए। परंतु मनुष्य कृत पाप कर्मों की कारण, कलि युग की आयु का क्षय होता है। इस कलियुग की आयु भविष्य मालिका ग्रंथ के अनुसार जिन 35 प्रकार के पापों के कारण से क्षय होने वाली है, उन सम्पूर्ण पापों का नाम निम्नलिखित प्रकार से वर्णित है:-
- पितृ हत्या
- मातृ हत्या
- स्त्री हत्या
- शिशु हत्या
- गौ हत्या
- ब्रह्म हत्या
- भ्रूण हत्या
- मातृ हरण
- भगिनी हरण
- कन्या हरण
- भातृ वधु हरण
- विधवा स्त्री हरण
- परायी स्त्री हरण
- स्त्री हरण
- गर्भवती स्त्री हरण
- कुमारी हरण
- पशु हरण
- भूमि हरण
- पराया धन हरण
- म्लेच्छ वेश धारण
- अभक्ष्य भक्षण
- अगम्य में गमन
- अति निराश
- कुटुंब वैराग्य
- मित्र के साथ कपट
- विश्वास घात
- निम्न जाति के संग प्रीत करना
- नग्न स्नान करना
- नग्न शयन करना
- मिथ्या भाषण
- शास्त्रों की निंदा करना
- गौ चारण, श्मशान भूमि अधिग्रहण
- तुलसी की पूजा न करना
- विष्णु प्रतिमा को न पूजना
- पिता माता की सेवा न करना
उपर्युक्त पाप कर्मों की कारण से कलियुग की आयु क्षय हो कर 5,000 वर्ष ही भोग होगा। ये सब बातें महापुरुष अच्युतानंद जी ने अपनी ‘उद्धव भक्ति प्रदायिनी’ ग्रंथ में लिखी हैं। इसमें उद्धव जी और महाप्रभु श्री कृष्ण जी के मध्य जो वार्तालाप होता है और उद्धव जी के कलियुग के अंत के विषय में पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देते हुए भगवान श्री कृष्ण जी ने स्पष्ट किया है कि –
“चारि लक्ष अटे बतिस सहस्र आयुष ए कलियुग।
पाप बढिबारु आयु कटिजिब अलप होइब भोग।।”
अर्थात् –
4,32,000 वर्ष कलियुग की आयु क्षय हो कर मात्र 5,000 वर्ष ही भोग होगा।
द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के साथ उनके परम सखा अर्जुन का कथोपकथन होता है, और उस समय अर्जुन महाप्रभु श्रीकृष्ण से कलियुग के अंत, धर्म संस्थापना और भगवान कल्किदेव के अवतार के संबंध में प्रश्न करते हैं। भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से बहुत सारी लीलाओं का वर्णन करते हैं| महापुरुष अच्युतानंद जी महाराज ने उन्हीं बातों को ‘चउषठि पटल‘, ‘नील सुंदर गीता‘ आदि अपने अनेक ग्रंथों में वर्णित किया है।
अर्जुन ने महाप्रभु श्रीकृष्ण से प्रश्न किया है कि कलियुग की आयु को अगर 4,32,000 वर्ष भोग होना निश्चित था और पापों के कारण से कलियुग क्षय हो कर 5,000 वर्ष भोग होगा, तो फिर “हे भगवन अब कृपा करके हमें बताइए कि कौन कौन से पाप कर्मों से कलियुग की आयु को कितना क्षय होगा“।
तब भगवान श्रीकृष्ण मुख्य रूप से कौन कौन से पाप कर्मों के कारण से कलियुग की आयु का कितने वर्ष क्षय होगा, उसका वर्णन करते हैं।
- झूठ बोलने के पाप से : 5000 साल
- गंगा में नग्न स्नान करने से :12000 साल
- द्विज का अन्यत्र प्रीति करने से : 30000 साल
- मित्र से द्रोह के पाप से: 6000 साल
- महाविष्णु जी की प्रतिमा की पूजा न करने से :17000 साल
- माता तुलसी देवी की पूजा न करने से :5000 साल
- अतिथि की सेवा न करने से : 6000 साल
- भातृ द्रोह के पाप से : 40000 साल
- अभक्ष्य भक्षण करने से : 8000 साल
- दूसरों का धन हर लेने से :10000 साल
- गौ हत्या के पाप से :100000 साल
- दान का दुरुपयोग करने से : 14000 साल
- विधवा स्त्रियों के साथ व्यभिचार करने से : 24000 साल
- जीव हत्या के पाप से : 11000 साल
- जाति, धर्म, वर्ण के नियम को न मानकर प्रीति करने से : 12000 साल
- भ्रूण हत्या के पाप से:7000 साल
- स्त्री हत्या के पाप से : 32000 साल
- गौ चारण और शमशान भूमि का हरण करने से :40000 साल
- मातृ हरण करने के पाप से : 5000 साल
- विश्वासघात करने के पाप से : 40000 साल
- पितृ मातृ हत्या और अन्याय पापों से : 3000 साल
इस प्रकार से कलियुग को 4,32,000 साल से 4,27,000 साल घटकर मात्र 5,000 साल भोग होगा। उपरोक्त विचार, विभिन्न शास्त्र पुराण, और मालिका ग्रंथ से यह प्रमाण मिलता है कि अनेक पाप कर्मों के कारण से ही कलियुग की आयु क्षय होती है और इस कलियुग की आयु भी उसी प्रकार से क्षय हो कर मात्र 5,000 वर्ष ही भोग होगा। शास्त्र एवं पुराणों में वर्णित गणना के अनुसार वर्तमान कलियुग को 5,125 वर्ष चल रहा है, अर्थात् कलियुग पूर्ण रूप से समाप्त हो चुका है।
“जय जगन्नाथ”