महापुरुष श्री अच्युतानंद दास जी द्वारा लिखित मालिका की कुछ दुर्लभ पंक्तियाँ और तथ्य…
मानव शरीर में श्री भगवान के आगमन के विषय मे सभी को ज्ञात नहीं होगा, अर्थात कलियुग के अंत में जो भविष्य मालिका ग्रंथ में विश्वास रखते हैं एवं भविष्य मालिका का पालन करने वाले ही भगवान के भक्त होंगे।
आगे अच्युतानंद जी मालिका में लिखते हैं..
“कृष्ण भाबरस नोहे वेदाभ्यास पूर्व जार भाग्य थिबा।”
अर्थ –
मानव शरीर मे श्रीभगवान के दर्शन उन्हें ही प्राप्त होंगे जो पूर्व मे भगवान के भक्त होंगे एवं उनके हृदय कृष्ण रस से भरे हुए होंगे, वेदाभ्यास करने वाले, महंत, पीठाधीश और सन्यासियों को भी भगवान के दर्शन सुलभ नहीं होंगे।
आगे अच्युतानंद जी अपनी मालिका में लिखते हैं…
जो स्वयं को वेद शास्त्रों या अष्टादश पुराणों के ज्ञाता एवं स्वयं को विद्वान समझने वाले तथा लाखों शिष्य बनाने वाले होंगे, उन्हें भी उसे श्रीभगवान के दर्शन प्राप्त नहीं होंगें। इसकी पुष्टि महापुरुष अच्युतानंददास जी ने अपने ग्रंथ भविष्य मालिका में की है। जो भक्त अपने पूर्व जन्मों के संस्कारों से युक्त होंगे और भगवान के भक्त होंगे उन्हें ही भगवान श्रीकल्किदेव प्रभु के दर्शन होंगे।
सतयुग में यति (ऋषि मुनि), त्रेतायुग में कपि (वानर भालू रीछ ) द्वापरयुग में (यदुवंशी) गोप गोपी और वर्तमान कलियुग में जो भक्त हैं, इन चार युगों के भक्त वास्तव में एक ही हैं। जो पुनः पुनः प्रभु के साथ पृथ्वी पर आते हैं इन चार युगों के भक्तों को वर्तमान में शास्त्रों का ज्ञान होगा या नहीं होगा तो भी वही भक्त भगवान के साथ सतयुग मे जायेंगे क्योंकि पूर्व के यति, कपि, गोपी एवं भक्त ही भगवान की शरण में आयेंगे।
“तारो ताको माया झाकी यह माया,
तारो ताको काया झाकी यह माया,
निश्चय वासना वसीब।”
अर्थ –
जो पूर्व में तपी-यति, कपि (वानर रीछ) और गोपी थे, उन्हें ही मालिका की वाणी की सत्यता विषय में ज्ञात होगा अर्थात भक्ति और ईश्वर के पूर्ण समर्पण का संदेश प्राप्त होगा। वही लोग भगवान कल्किदेव की शरण में आयेंगे। भारत में बड़े-बड़े साधु संत होंगे पर वो लोग भगवान कल्कि से नहीं मिल पायेंगे। अपने अभिमान मे अपने लाखों भक्तों होने के अहंकार के कारण उन्हें भगवान की प्राप्ति नही हो पायेगी। लेकिन जो गरीब ही क्यों ना हो जिनका मन निर्मल है, जिनमें निश्छल भक्ति है जिनमे अहंकार नही है, जो कपट नही जानते हैं वही भगवान के भक्त होंगे उन्हें ही श्रीभगवान की प्राप्ति होगी। जिन लोगों तक मालिका की वाणी पहुँचेगी वो सभी भाग्यवान होंगे फिर चाहे वो किसी भी माध्यम से ही क्यों ना पहुँचे।
“जय जगन्नाथ”