महापुरुष श्री अच्युतानंद दास जी के द्वारा लिखी मालिका की कुछ दुर्लभ पंक्तियाँ व तथ्य-
द्वापरयुग में महाभारत के महासंग्राम में भाग लेने वाले महापराक्रमी योद्धाओं का कलियुग के अंत में अर्थात अभी वर्तमान समय में पुनः जन्म हो चुका है। वे सभी योद्धा भगवान् कल्कि के धर्म स्थापना कार्य में अपना सहयोग देंगे। आने वाले समय में होने वाले तृतीय विश्वयुद्ध में वे सभी योद्धा अपने पराक्रम और भगवान कल्कि के आशीर्वाद से भारत पर बुरी दृष्टि रखने वाले विदेशी सेनाओं का विनाश करेंगे। इस प्रकार महाभारत युद्ध की एक बेला का संग्राम जो किसी कारणवश पूर्ण नही हो पाया था, वह भी सम्पन्न होगा।
“पुनिही वीर गण भारत समरे करिबे पुन्नलो जाइफूलो केई बुझही समरो।
सरबे होई रणरंका भांगी देबे विदेसिंक पखाल जाइफूलो उड़ाईदेबे टी जईपतका।।”
अर्थात् –
महाभारत के सम्पूर्ण युद्ध को भगवान श्रीकृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र के प्रहार से समाप्त कर दिया था। इसी कारणवश कौरव और पांडवों के कई योद्धाओं की युद्ध की इच्छा पूर्ण नही हुई थी। उन सभी योद्धाओं की इच्छा तृतीय विश्वयुद्ध में पूर्ण होगी।
“तणुमेंही बिरगण जन्मी अच्छन्ति भारत जाइफूलो दिने मातृसमानो।।”
अर्थात् –
सभी योद्धा जिनका वर्तमान में पुनः जन्म हुआ है, वे सभी (सप्तरथी, पंचपांडव, पंच बालवीर, कौरवगण) योद्धा भगवान कल्कि के साथ धर्मयुद्ध में साथ देंगे और युद्ध में विदेशी सेना का भयंकर विनाश करेंगे। कोई इनके पराक्रम के सामने टिक नही पायेगा।
“उड़िये भारतयुद्ध उड़ीसा देसरे पुनि होईबलो जाइफूलो यवन बाही आसीब।”
अर्थात् –
सम्पूर्ण यवन सेना (मुस्लिम देश की सेना) जगन्नाथ पुरी से भुवनेश्वर तक आ जायेगी। उसी समय भगवान कल्कि भुवनेश्वर की भूमि पर मानव रूप में उपस्थित होंगे। यवन सेना का सामना भगवान कल्कि स्वयं करेंगे और उस समय सप्तरथी भी प्रभु के साथ होंगे।
उड़ीसा में युद्ध कहाँ होगा ?
“उड़ीसा राज्यरे खंडगिरि ठारे अनेक युद्ध होइबो।
चक्रधरी प्रभु अनंतकिशोर म्लेच्छ संहार करिबे।।”
अर्थात् –
उड़ीसा राज्य में भुवनेश्वर के खंडगिरि में महासमर (महाभारत युद्ध का शेष एक बेला का युद्ध) होगा। यवन (मुस्लिम देश) की चौदह लाख सेना युद्ध की इच्छा से वहाँ तक आयेगी। उसी समय प्रभु कलियुग में सर्वप्रथम सुदर्शन धारण करेंगे और केवल एक ही प्रहार से १४ लाख यवनों का संघार करेंगे।
“जय जगन्नाथ”