महापुरुष श्री अच्युतानंद दास जी के द्वारा लिखी गयी भविष्य मालिका की दुर्लभ पंक्तियाँ व तथ्य-
भविष्य मालिका में भगवान महाविष्णु और माँ महालक्ष्मी के दिव्य वस्त्राभूषण के विषय में वर्णित है कि द्वापर युग में ही भगवान श्रीकृष्ण ने भविष्य में आने वाले आद्य सत्ययुग के लिये गुप्त रूप से दिव्य वस्त्राभूषणों को सुरक्षित स्थान पर रखवाया था।
“लख्मी नारायण श्रीअंग भूषण ग्रहण ग्रंथ सहिते,
बिरजा खेत्ररे स्थापन गुपत तुम्भे देखीबे सख्याते।”
अर्थात –
माँ महालक्ष्मी एवं भगवान श्रीहरि के वही दिव्य वस्त्र और आभूषण जिसे द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने सुरक्षित रखवाया था। जिसे प्रत्येक युग जैसे सत्, द्वापर, त्रेता और कलियुग में माता व श्रीहरि भगवान के द्वारा विशेष अवसरों पर धारण किया जाता है। उन्हीं वस्त्राभूषणों को जब जाजनग्र में स्थित माता बिरजा की पवित्र भूमि पर ‘सुधर्मा सभा बैठेगी‘ तब उस सभा में भगवान कल्किदेव एवं माँ आदिशक्ति उन्हीं दिव्य वस्त्रों को धारण करेंगे एवं जो भक्तगण सुधर्मा सभा में उपस्थित होंगे उन सभी भाग्यशाली भक्तों को उन दिव्य वस्त्राभूषणों से सुसज्जित माता और भगवान के अलौकिक दर्शन प्राप्त होंगे।
भगवान अपनी लीला केवल अपने पवित्र भक्तों के साथ ही करते हैं। वो पवित्र भक्त प्रत्येक युगों में भगवान के साथ होते हैं। शीघ्र ही इन सभी दिव्य लीलाओं को भक्त अपनी आंखों से देखेंगे और हर्षित होंगे।
“जय जगन्नाथ”