महापुरुष श्री अच्युतानंद दास जी के द्वारा मालिका में लिखी एक दुर्लभ पंक्ति-
जोगी मानहे जोगा अंतना पाइबे आहू केमु समरहथा।
जार लागी खेल तार लागी काहल से बेल कुकाल कथा।।
अर्थात् –
योगी ऋषि मुनि एवं देवता, ब्रह्मा जी व महादेवजी भी स्वयं कलियुग के अंत समय में मायापति श्री भगवान को पहचान नहीं पायेंगे हैं! कल्कि देव के धरावतरण के पश्चात उनकी अलौकिक माया के कारण उन्हें पहचान नही पायेंगे। कलियुग में जो साधारण मनुष्य माया और विषय-वासना के चक्रव्यूह में फँसे हैं और जिन्हें पूर्ण सत्य का ज्ञान नही है, जिन्हें श्री भगवान की सात्विक भक्ति का ज्ञान नही है ऐसे अधम मनुष्य श्री भगवान को कैसे पहचान पायेंगे ?
तब गरुड़ व भगवान के वार्तालाप में गरुड़ जी भव भयहारी, श्री मधुसूदन, चक्रधर, भगवान से कहते हैं हे “प्रभो कलियुग के अंत समय में आपके धरा अवतरण के पश्चात मैं आप को कैसे पहचान पाऊँगा। कृपा करके प्रभु आपके श्री चरणों का रस पान करने वाले इस अपने अधम सेवक पर दया कर यह बतलाइये की मैं आपको कैसे पहचान पाऊँगा?”
महापुरुष संत श्री अच्युतानंद दास जो कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के परम् सखा व स्वयं भगवान विष्णु की चेतावनी के स्वरूप में अपने दिव्य ग्रंथ भविष्य मालिका में लिखते हैं कि कलियुग के अंत के समय जो मनुष्य मालिका पर हँसेंगे, विश्वास नही करेंगे, व मालिका का दुष्प्रचार करेंगे उन्ही लोगों को देवी महामाया और काल का ग्रास बनना पड़ेगा। तत्पश्चात उन्हें मालिका की दिव्य अनमोल वाणी के महत्व का ज्ञान होगा, परंतु तब तक देर हो चुकी होगी। सही समय पर समय की गंभीरता की पहचान केवल ज्ञानी जनों के द्वारा ही संभव होता है।
इस प्रकार आगे श्री भगवान ने गरुड़जी को सभी प्रश्नों का उत्तर दिया व उनकी शंका का निवारण किया जो कि “गरुड़ संवाद भविष्य मालिका” में लिखा है।
“जय जगन्नाथ”