महापुरुष श्री अच्युतानंद दास व महापुरुष श्री जगन्नाथ दास जी के द्वारा लिखी मालिका की कुछ दुर्लभ पंक्तियाँ–
भविष्य मालिका के “श्रीकृष्ण गरुड़ संवाद” में श्रीभगवान की वाणी पुरी की पावन भूमि (श्रीक्षेत्र) से भक्तों के लिये ऐसे संकेत आयेंगे जिससे पवित्र भक्तों को यह विश्वास हो जायेगा की कलियुग में मैंने मानव तन में अवतार ले लिया है।
गरुड़ फिर प्रभु से पूछते हैं कि हे जगतपते कृपा करके बताइये कि और क्या ये संकेत मैं देख पाऊंगा जिससे मुझे यह विश्वास हो जायेगा कि आपने (श्रीभगवान) मनुष्य शरीर धारण कर लिया है ?
भगवान कहते हैं–
”समुद्र रूबातासोजे उठिन आसीब।
कल्पवट डाल मोर भांगीब पोकाइब।। “
ब्रह्म प्रलय के समय जिस कल्पवट की शाखा में प्रभु शिशुरूप में विश्राम करते है उसकी शाखा समुद्री तूफान के कारण टूट जायेगी।
”अउ बतासरे चक्र वक्र हेबो निलचक्र मोरो।“
समुद्र में एक तूफान उठेगा उस भयंकर तूफान के कारण पुरी मंदिर के ऊपर का नीलचक्र वक्र (टेढ़ा) हो जायेगा (यह संकेत बंगाल की खाड़ी से सन – 2019 में भयंकर चक्रवात के द्वारा सम्पन्न हो चुका है एवं इसकी पुष्टि ओडिशा सरकार ने चक्रवात के दूसरे दिन कर दी थी यह खबर वहाँ के स्थानीय न्यूज़ चैनल और अखबारों में आई थी)
फिर भगवान भक्त गरुड़ से कहते हैं, देखो गरुड़ जगन्नाथ पुरी (श्रीक्षेत्र) से और भी संकेत लगातार एक के बाद एक आते जायेंगे_
“देउल रचुन छाड़ीब चक्र वक्र होइब।
मालिहा होइब भारत अंक काटाउथिब।।”
अर्थात –
मेरे श्रीमंदिर से (जगन्नाथ मंदिर) कलियुग के शासन तंत्र के पुरातात्विक विभाग के द्वारा मंदिर में आदिकाल से समुद्री नमक वाली हवा से मंदिर की सुरक्षा हेतु चूने से मंदिर की लिपाई की गई थी, उस चूने से किये गये लेप को हटाया जायेगा (यह कार्य पुरातात्विक विभाग के द्वारा सन –1985 के बाद ही कर दिया गया था)
“जय जगन्नाथ”