Kalki AvataraKalki Avatara
  • होम
  • हमारे बारे में
  • भविष्य मालिका पुस्तक
  • मालिका विडीओ
  • वचनामृत
  • प्रश्न-उत्तर
  • त्रिसंध्या
  • सम्पर्क करें
Bhagwat Mahapuran Chapter 1-4
https://www.kalkiavatara.com/wp-content/uploads/2022/06/श्री_मद्ध_भागवत_महा_पुराण_प्रथम_स्कंध_अध्याय_1_से_4_तक-1.mp3
Facebook Twitter Instagram YouTube WhatsApp Telegram
Kalki AvataraKalki Avatara
  • होम
  • हमारे बारे में
  • भविष्य मालिका पुस्तक
  • मालिका विडीओ
  • वचनामृत
  • प्रश्न-उत्तर
  • त्रिसंध्या
  • सम्पर्क करें
  •  - 
    Arabic
     - 
    ar
    Bengali
     - 
    bn
    Dutch
     - 
    nl
    English
     - 
    en
    French
     - 
    fr
    German
     - 
    de
    Gujarati
     - 
    gu
    Hindi
     - 
    hi
    Indonesian
     - 
    id
    Italian
     - 
    it
    Japanese
     - 
    ja
    Kannada
     - 
    kn
    Malayalam
     - 
    ml
    Marathi
     - 
    mr
    Mongolian
     - 
    mn
    Myanmar (Burmese)
     - 
    my
    Nepali
     - 
    ne
    Pashto
     - 
    ps
    Portuguese
     - 
    pt
    Punjabi
     - 
    pa
    Russian
     - 
    ru
    Spanish
     - 
    es
    Tamil
     - 
    ta
    Telugu
     - 
    te
    Thai
     - 
    th
Kalki AvataraKalki Avatara
भविष्य मालिका

कलियुग के अंत समय में भविष्य मालिका की आवश्यकता

Satyanarayan SrivastavaBy Satyanarayan SrivastavaNovember 21, 2022Updated:April 22, 2025No Comments3 Mins Read
Facebook Twitter Email Telegram WhatsApp
Share
Facebook Twitter Email Telegram WhatsApp

युग चक्र के अनुसार पहला सतयुग, दूसरा त्रेतायुग, तीसरा द्वापरयुग और आखिर में कलियुग का आगमन होता है। वर्तमान  समय में कलियुग की सम्पूर्ण आयु समाप्त हो चुकी है और युग संध्या काल चल रहा है। कोई भी युग के अंत और एक नए युग के प्रारंभ के समय को युगसंध्या या संगम युग कहा जाता है। कलियुग की आयु मनुस्मृति के आधार पर 4,32,000 वर्ष  मानी जाती है। परंतु मनुष्य कृत घोर पाप कर्मों के कारण से 4,27,200 वर्ष क्षय हो जायेगी और मात्र 4,800 वर्ष  ही कलियुग की भोगदशा होगी यह वर्णन मिलता है। मनुस्मृति के अनुसार नीचे दिए गए श्लोक इसका प्रमाण देते हैं –

“चत्त्वार्य्जाहु सहस्राणि तत् कृतम् युगम्,

तस्य तवच्छता संध्या संध्यांशश्च तथाविधः”

उपरोक्त श्लोक का अर्थ है – चार हजार वर्ष के पश्चात, सतयुग आता है। उस चार हजार वर्ष की परमायु तथा उसके संध्या और संध्यांश का काल उतना ही शत वर्ष होता है।

कलियुग की आयु= 4000 वर्ष

आरंभ और अंत में दो संध्या= 400X2= 800 वर्ष

कुल मिलाकर 4,800 वर्ष कलियुग की भोगदशा होगी।

पंचसखाओं में से अनन्य सखा, भगवान विष्णु जी के परम  प्रिय सखा सुदामा जी, ब्रह्म गोपाल महापुरुष अच्युतानंद दास जी महाराज ने महाप्रभु निराकार जी के निर्देश से कलियुग की आयु या भोगाभोग समय को मनुस्मृति में वर्णित 4,800 वर्ष  को पुनः बदलकर भविष्य मालिका में 5,000 वर्ष  उल्लेख किया है।

“चारि लक्ष जे बतिश सहस्त्र, कलियुग र अटइ आयुष ।

पाप भारा रे कलि तुटि जिब, पांच सस्र कलि भोग होइब।”

उपरोक्त पंक्तियों में अच्युतानंद दास जी महाराज कहते हैं कि – कलियुग की आयु 4,32,000 वर्ष  है। लेकिन मनुष्य कृत पाप कर्मों के  कारण इसकी आयु का क्षय होकर मात्र 5,000 वर्ष  ही भोग होगा।

वर्तमान में माँ  बिरजा पंजिका, जगन्नाथ पंजिका, कोहिनूर पंजिका आदि के अनुसार कलियुग की आयु का शुरुआत से आज तक 5,125 वर्ष  भोग चल रहा है। इसका अर्थ यह है कि कलियुग पूर्ण रूप से समाप्त हो चुका है और हम युग संध्या या संगम युग में पदार्पण कर चुके हैं। इसलिए वर्तमान समय में मानव समाज के कल्याण हेतु ‘भविष्य मालिका ग्रंथ’ की अति आवश्यकता है। पुनः महापुरुष अच्युतानंद दास जी भविष्य मालिका में कहते हैं कि –

“संसार मध्यरे केमंत जाणिबे नर अंगे देह बहि

गत आगत जे युग र ब्यबस्था समस्तन्कु जणा नाहीं” 

(शिव कल्प नबखंड नीर्घण्ट)

महापुरुष अच्युतानंद दास जी महाराज ने “मालिका ग्रंथ” – शिव कल्प नवखंड नीर्घण्ट में वर्णन किया है कि – मनुष्य माया मोह से भ्रमित हो कर युग परिवर्तन या उसके आदि अंत में आने वाली आपदा संबंधी बातें नहीं जान पाएगा। ज्ञानी सज्जन भी पथभ्रष्ट और भ्रमित हो जाएंगे और आध्यात्मिक परिवेश में भी बढ़ा चढ़ा कर बोलेंगे कि अभी कलियुग की बाल्यावस्था चल रही है।

“उदयति: यदि भानु पश्चिम दिग बिभागे,

बिकशति यदि पद्म पर्वतानां शिखाग्रे।

प्रचलति यदि मेरु शितो ताप्ती: बण्ही,

नटलतिं खलु बाक्य सज्जनानां कदाचित।”

अर्थात् –

आने वाले समय में सूर्य देव पश्चिम में उदय हो सकते हैं, पर्वत शिखर में कमल खिल सकता है, मेरु पर्वत दक्षिण से उत्तर दिशा में जा सकते हैं, आग ठंडक प्रदान कर सकती है या बर्फ गर्मी भी प्रदान कर सकती है, किन्तु मालिका ग्रंथ में वर्णित महापुरुष अच्युतानंद दास जी की वाणी या किसी भी संत सज्जन और महापुरुषों की वाणी कदाचित असत्य नहीं हो सकती।

 

“जय जगन्नाथ”

Share. Facebook Twitter Email Telegram WhatsApp

Related Posts

चारों युगों में धर्म स्थापना और कलियुग में धर्म स्थापना का वर्णन

August 15, 2023

कलियुग के पूर्ण होने के संबंध में श्री जगन्नाथ के क्षेत्र से मिले संकेत

December 3, 2022

भगवान कल्कि के अवतार से संबंधित विभिन्न शास्त्र पुराण और भविष्य मालिका में वर्णन

December 3, 2022
Add A Comment

Comments are closed.

Buy Maalika book from Amazon
Categories
  • त्रिसंध्या
  • प्रश्न-उत्तर
  • भविष्य मालिका
  • भागवत महापुराण
  • मालिका विडीओ
  • वचनामृत
  • संस्कृति चैनल

Kalkiavatara.com


Organised by: Baikunthdham Sebaashram Trust Regd No. 41131407552

Our Picks

EP-121- देवर्षि नारद मुनी के अवतार शिशु अनंत जी ने कल्कि भगवान के जन्म के बारे में क्या लिखा है?

May 2, 2024

EP-122- शिव कल्प और सौराष्ट्र संहिता ग्रंथ में कल्कि भगवान के जन्म का प्रमाण.

May 2, 2024

EP-123- बिरजा महात्मय ग्रन्थ में जाजनगर-संबल ग्राम का प्रमाण.

May 2, 2024
About Us

Welcome to kalkiavatara.com. It is part of Vishwa Sanatan Dharma Foundation. To know more about us you can check about us section.

Reach out to us on
Email Us: info@kalkiavatara.com
Contact:
+91 9593 161616
+91 8768 161616
+91 93200 00020

Quick links
  • होम
  • हमारे बारे में
  • भविष्य मालिका पुस्तक
  • मालिका विडीओ
  • वचनामृत
  • प्रश्न-उत्तर
  • त्रिसंध्या
  • सम्पर्क करें
Kalki Avatara
Facebook Twitter Instagram YouTube WhatsApp Telegram RSS
  • जाने हमारे बारे में
  • सूचनाओ की गुप्तता
  • नियम तथा शर्तें
  • सम्पर्क करें
© 2025 Vishwa Sanatan Dharma Foundation (kalkiavatara.com)

Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.