Author: Satyanarayan Srivastava

कलियुग का अंत हो चुका है। शास्त्रीय धारा एवं मनुस्मृति के आधार पर विशेष रूप से चार युग  ही होते है। उन युगों के नाम हैं- पहला सतयुग, दूसरा त्रेतायुग, तीसरा  द्वापरयुग और चौथा कलियुग है। इन चार युगों के बाद एक गुप्त युग भी आता है जिसको अनंत युग या आद्य सतयुग कहते हैं और यह प्रमाणित किया गया है। इसका प्रमाण मुख्यत: पंचसखाओं  द्वारा लिखे गए भविष्य मालिका ग्रंथ में उपलब्ध है। जिसको आज भी लोग नहीं जानते हैं। परंतु ये गूढ़ तत्व सम्पूर्ण विश्व के मानव समाज के उद्धार के लिए नितांत आवश्यक है।                शास्त्रों के…

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महापुरुष अच्युतानंद दास जी के द्वारा लिखी मालिका की कुछ दुर्लभ पंक्तियाँ व तथ्य- “शेष कली लीला भाव बुझाई कहिबि तो आगे सर्व राम चन्द्ररे कल्कि रूप होइबे माधव राम चन्द्र रे।” अर्थात –  महापुरुष अच्युतानंद जी अपने शिष्य रामदास से कह रहे हैं कि कलियुग के अंत में प्रभु कल्कि जब नर शरीर धारण करके धरावतरण करेंगे तब उनका नाम माधव होगा। जो अखिल ब्रह्मांड के स्वामी हैं, जिनके भेद शिव व  ब्रह्मा भी पाने में असमर्थ है, उनके विषय मे पूर्ण ज्ञान होना इतना सरल नही है। केवल वो ही प्रभु का पता लगा पाएंगे जिस पर…

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महापुरुष श्री अच्युतानंद दास जी द्वारा रचित भविष्य मालिका की दुर्लभ पंक्तियाँ एवं तथ्य- “भूमिकम्पे प्रकम्पित होईबे धरणी, पहाड़ जंगल सब माटिरे मिसिब, बिचित्र परिबर्तन पृथिबिरे हेब।” अर्थात- निकट भविष्य में तीव्र गर्जना के साथ पृथ्वी पर बार-बार भूकम्प आयेंगे, सारे बड़े-बड़े घर धराशायी हो जायेंगे, सब मिट्टी के नीचे दब जायेंगे, पहाड़ और जंगल सब मिट्टी में मिल जायेंगे और आश्चर्यजनक परिवर्तन होंगे। कुछ भी पहले जैसा नहीं रहेगा। इस विनाशकारी भूकंप के बाद सूर्य देव पश्चिम में उदय होकर पूर्व में अस्त होंगे। ये सारे बदलाव आने वाले समय में लोग देख पाएंगे।   “जय जगन्नाथ’ 

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आइये जानते हैं भविष्य मालिका को प्रमाणित करते शास्त्रों के प्रमाण- “जथा चंद्र तथा तिस्य ब्रहस्पतिस्य बृहस्पति एक रासो मनुष्यन्तितदा भवितत कृतं।” अर्थात – चंद्र , सूर्य व बृहस्पति तीनों एक ही समय एक स्थान पर पुष्य नक्षत्र में समागम होने पर सतयुग के आगमन की पूर्व सूचना के रूप में श्रीमद्भागवत में स्पष्ट वर्णित है। ऐसा योग सन 1943 में अगस्त माह के दिनांक एक रविवार के दिन बना था एवं उसी वर्ष अष्टग्रहकूट (अष्टग्रही योग) भी हुआ था।   चतुर्युग की गणना के ग्रंथ जिसे ब्रह्माजी के पुत्र मनु ने स्वयं लिखा था उसमें भी इसका प्रमाण स्पष्ट…

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महापुरुष श्री अच्युतानंद दास जी के द्वारा भविष्य मालिका में लिखी एक दुर्लभ पंक्ति- “मर मर कही सर बीमरिबे अच्युतारह किस गला। चेतुआ पुरुषा चेतारे विहारे विहंता पुरुषा मला ।।” अर्थात- कलयुग के अंतिम समय में मनुष्य समाज में मनुष्यों का दम्भ, गर्व व अहंकार चरम शिखर पर रहेगा। अपने गर्व, अहंकार, पद, प्रतिष्ठा और संपत्ति के कारण मनुष्य मैं, मेरा, तू, तेरा, मेरी संपत्ति, मेरा पैसा, मेरा घर, मेरी क्षमता, मेरा अधिकार, मेरा परिवार, मेरे बच्चे, मैंने सब कुछ किया, या ये मेरा है, मैं ही सब कुछ हूँ, ऐसा कहेंगे व ऐसी मानसिकता के रहते वो धर्म,…

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महापुरुष श्री बलराम दास जी के द्वारा रचित मालिका की कुछ दुर्लभ पंक्तियाँ व तथ्य- शास्त्रों के अनुसार कलियुग के अंतिम चरण में वर्षा होने के कोई नीति-नियम नही रह जायेंगे, नियमतः वर्षा को अपने निश्चित समय में अनाज, साग, सब्जियों के अच्छे पैदावार के लिए उचित मात्रा में वर्षा होनी चाहिये, परंतु ऐसा नही होगा। ऋतु क्रम के विपरीत किसी भी समय में अनियमितता के साथ कहीं अत्यधिक, तो कही आवश्यकता से भी कम वर्षा देखने को मिलेगी। अत्यधिक तथा तीव्र वर्षा से मनुष्य समाज का सामना होगा, जिसके कारण रोग, व्याधि, अकाल, भुखमरी जैसी स्थिति मनुष्यों को देखनी…

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महापुरुष श्री अच्युतानंद दास जी के द्वारा लिखी मालिका की एक दुर्लभ पंक्ति व तथ्य- “शेष कली लीला भवतु आगे बुझाई कहिबे सर्वलो जाइफूलो कल्कि रूप धरिबे माधब।” अर्थात –  कलियुग के अंत समय में भगवान महाविष्णु चक्रधर माधव महाप्रभु ही महाकल्कि रूप धारण कर धर्म संस्थापना करेंगे। परंतु हर कोई महाप्रभु की प्रबल माया के कारण उन्हें पहचान नही पायेंगे।  केवल हर युग में निरंतर प्रभु के साथ धर्म संस्थापना के समय अपना सहयोग देने वाले भक्तों (गोपी,कपि,तपी) को ही प्रभु की प्रेरणा और भक्ति के कारण इस बात का ज्ञान हो पायेगा। “जय जगन्नाथ” 

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महापुरुष श्री अच्युतानंद दास जी के द्वारा मालिका में लिखी एक दुर्लभ पंक्ति- जोगी मानहे जोगा अंतना पाइबे आहू केमु समरहथा। जार लागी खेल तार लागी काहल से बेल कुकाल कथा।। अर्थात्  –  योगी ऋषि मुनि एवं  देवता, ब्रह्मा जी व महादेवजी भी स्वयं कलियुग के अंत समय में मायापति श्री भगवान को पहचान नहीं पायेंगे हैं! कल्कि देव के धरावतरण के पश्चात उनकी अलौकिक माया के कारण उन्हें पहचान नही पायेंगे। कलियुग में जो साधारण मनुष्य माया और विषय-वासना के चक्रव्यूह में फँसे हैं और जिन्हें पूर्ण सत्य का ज्ञान नही है, जिन्हें श्री भगवान की सात्विक भक्ति…

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महापुरुष अच्युतानंद दास जी के द्वारा लिखी एक पंक्ति- “घोर कलीकाल थोयो ना रहिबो ज्ञानी हेबे जान बाट बडां, मंगो मंगुवालो बोलो ना मनिबे ज्ञान कही अकलणा।” अर्थात – ज्ञानी लोग ही सबसे अधिक भ्रमित होंगे, वो ज्ञान को ही सर्वोच्च समझेंगे व ज्ञान को ही श्रीभगवान की प्राप्ति का मुख्य मार्ग समझेंगे, परंतु वो ये नही समझ पायेंगे कि प्रभु की प्राप्ति का केवल एक ही सरल मार्ग है, वो है श्रद्धा, भक्ति प्रेम एवं ईश्वर पर  अटूट विश्वास। “जय जगन्नाथ” 

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महापुरुष श्री अच्युतानंद दास जी द्वारा लिखित मालिका की कुछ दुर्लभ पंक्तियाँ और तथ्य…   मानव शरीर में श्री भगवान के आगमन के विषय मे सभी को ज्ञात नहीं होगा, अर्थात कलियुग के अंत में जो भविष्य मालिका ग्रंथ में विश्वास रखते हैं एवं भविष्य मालिका का पालन करने वाले ही भगवान के भक्त होंगे।   आगे अच्युतानंद जी मालिका में लिखते हैं.. “कृष्ण भाबरस नोहे वेदाभ्यास पूर्व जार भाग्य थिबा।” अर्थ – मानव शरीर मे श्रीभगवान के दर्शन उन्हें ही प्राप्त होंगे जो पूर्व मे भगवान के भक्त होंगे एवं उनके हृदय कृष्ण रस से भरे हुए होंगे, वेदाभ्यास…

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